विश्व हिन्दी सम्मेलन अभी अभी समाप्त हुआ है। अभिव्यक्ति पत्रिका में गप्पी की रपट भी छपी है। साथ ही सूचना है दी गई है भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा आयोजित डा. होमी भाभा हिंदी विज्ञान लेख प्रतियोगिता-2007 के बारे में जिसके लिए विज्ञान लेख आमंत्रित किये गये हैं। इसके नियमों में एक जगह लिखा है, “इंटरनेट अथवा ईमेल द्वारा कृपया लेख न भेजें”। क्या मंज़र है वाकई! एक ओर न्यूयार्क जैसे आधुनिक शहर में हिन्दी की पताका लहरा कर इसको विश्वव्यापी बनाने के सपने देखे जा रहे हैं और अपने ही देश में हिन्दी को इंटरनेट पर शोभायमान देख प्रस्तर युग के सरकारी बाबू भुनक रहे हैं, बदलते समय के इशारे इनके पल्ले नहीं पड़ते। क्या अगला हिन्दी सम्मेलन इनके लिये भारत में नहीं हो सकता प्लीज़?