असली या नकली

अमर सिंह का कथित ब्लॉग पढ़ा। इतने दिनों से सबका लेखन पढ़ते पढ़ते पता चल जाता है कि कौन “में” को “मे” लिखता है, कौन पूर्णविराम की जगह बिंदु लगाता है, कौन किताबें “पड़ता” है, कौन पढ़ता नहीं, कौन लेखन की “ईच्छा” रखता है और कौन कॉमा के पहले “स्पेस” छोड़ता है, कौन लेफ्टी और […]

कोई कहे कहता रहे

नेता बनने के लिये जिस्मानी और रूहानी खाल दोनों का मोटी होना ज़रूरी है। जीवन का आदर्श वाक्य होना चाहिये “कोई कहे कहता रहे कितना भी हम को…”। बेटे के साथ अन्याय के नाम पर कब्र मे पैर लटकाये करूणानिधि ने नई पार्टी तैरा दी, राज्यपाल बूटा सिंह के राज्य की नौका के पाल खुलम्म […]

असाधारण है रियली सिंपल सिंडिकेशन

ब्लॉग जब खूब चल पड़े और चारों और इनके चर्चे मशहूर हो गये तो इसी से जुड़ा एक और तंत्र सामने आया। जिस नाम से यह पहले पहल जाना गया वह ही इसका परिचय भी बन गया। यूं तो आर.एस.एस एक तरह का क्षमल प्रारूप है और इसके बाद आर.डी.एफ, एटम यानि अणु जैसे अन्य […]

सृजनात्मकता और गुणता नियंत्रण

उत्पाद चाहे कैसा भी हो गुणता यानि क्वालिटी की अपेक्षा तो रहती ही है। भारतीय फिल्मों के बारे में कुछ ऐसा लगता नहीं है। शायद इसलिये कि सफलता के कोई तय फार्मुले नहीं हैं और गुणता नियंत्रण की संकल्पना किसी क्रियेटिव माध्यम में लाना भी दुष्कर है। यह बात भी है कि जब बड़े पैमाने […]

संदेशों में दकियानूसी

अपना मुल्क भी गजब है। सवा १०० करोड़ लोग उत्पन्न हो गये पर सेक्स पर खुली बात के नाम पर महेश भट्ट के मलिन मन की उपज के सिवा कुछ भी खुला नहीं। भारत किसी अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में कोई रिकार्ड भले न तोड़ पाया हो पर एड्स के क्षेत्र में सतत उन्नति की राह […]

मुगालते में ऐश है

हम भारतीय तो जन्मजात हिपोक्रिट हैं ही। कथनी और करनी का अंतर न हो तो हमारी पहचान ही विलीन हो जाये। कुछ दिनों पहले जब देह मल्लिका के कॉन्स के पहनावे की बात आयी जिसमें कपड़ा कम और जिस्म ज़्यादा था तो मुझे मल्लिका और ऐश्वर्या कि महत्वाकाक्षांओं में कुछ खास फर्क नहीं नज़र आया। […]

सप्ताह का किस्सा

चापलूसी की हद