ब्लॉगिंग विधा कितनी लोकप्रिय है यह हम सब ही जानते हैं, हर कोई अपनी बात कहने को उत्सुक है। विधा पनपी तो इसने अन्य अनेक रूप गढ़ने शुरु किये, केवल कड़ियों का समावेश करने वाले लिंकब्लॉग, मोबाईल फोन से की जा सकने वाली मोब्लॉगिंग, अपनी आवाज़ को रिकार्ड कर प्रविष्टि का रूप दी जा सकने का आडियो ब्लॉगिंग या पॉडकास्टिंग, विडियो ब्लॉग इत्यादि। पर सृजनात्मकता ठहरा पानी नहीं जिस पर बोरियत की शैवाल उगे। लोग नये नवेले तरीके खोजते रहते हैं अपनी रचनात्मकता की क्षुधा को शांत करने के लिये।

काफी पहले स्वादिष्ट कड़ियों में मैंने टंब्लर का ज़िक्र किया था। ये एक अलहदा किस्म का ब्लॉगवेयर है जिससे उपजे चिट्ठों को टंबललॉग पुकारा जाता है। टंबललॉग में आम चिट्ठों की तरह विस्तृत प्रविष्टियाँ नहीं होतीं, बल्कि इनमें उद्धरण, कड़ियाँ, चित्र या विडियो का समावेश रहता है, बिना किसी खास टीका टिप्पणी के, ऐसी प्रविष्टियाँ जिन्हें चटपट पोस्ट किया जा सके। नुक्ताचीनी के पाठकों ने ध्यान दिया होगा की डिलिशियस पर बटोरी मेरी कड़ियाँ सप्ताहांत पर “सप्ताह की स्वादिष्ट कड़ियाँ” के नाम से एक प्रविष्टि के रूप में स्वतः प्रकाशित होती हैं, इन कड़ियों के साथ मेरी संक्षिप्त टिप्पणी रहती है बस। टंबललॉग के नेपथ्य में भी यही भावना है पर ये केवल लिंकब्लॉग नहीं होते, पर हाँ संक्षेप और विशिष्टता इनका स्थाई गुण है। वर्डप्रेस के प्रयोक्ता असाइड्स से अवश्य परिचित होंगे जहाँ छोटी या कम महत्वपूर्ण प्रविष्टयाँ अलग तरीके से प्रकाशित की जाती हैं, मसलन साईडब्लॉग के रूप में। अगर पूरा ब्लॉग ही असाईड्स से बना हो तो शायद टंबललॉग ही बन जायेगा (और लाईवजर्नल प्रयोक्ता कहेंगे हम तो हमेशा से टंबललॉग ही लिखते आये हैं)। कम शब्दों में कहें तोः बेतरतीब, संक्षिप्त प्रविष्टि लिखने वाले और थीम विम के चक्कर से परेशान आत्माओं के लिये निर्वाण का यही माध्यम है।

projectionist anarchia

एनरकाईया को विश्व का पहला टंबललॉग माना जाता है। प्रोजेक्शनिस्ट भी शुरुवाती टंबललॉग में से एक है। पर इनके अलावा भि और काफी टंबललॉग हैं और इनकी सूची आप टंबललिस्ट पर देख सकते हैं।

अपना टंबललॉग तुरतफुरत बनाने का सबसे बढ़िया तरीका है टंब्लर। ये एक मुफ्त होस्टेड सेवा है जहाँ आप अपना टंबललॉग बना सकते हैं। टंब्लर आपके डोमेन या सबडोमेन को अपने मुफ्त टंबललॉग की ओर रीडायरेक्ट करने की भी सुविधा देता है। यदि आपके पास अपनी होस्टिंग है तो टंबल, ओज़ीमोडो और हॉबिक्स जैसे तंत्राँश भी उपलब्ध हैं। इस सॉफ्टवेयर का नाम लेते ही टंबललॉग के साथ एक अनोखा संबंध और भी ध्यान आया और वो है रूबी का, ज़्यादातर टंबललॉगवेयर रूबी आधारित हैं। क्यों यह नहीं जानता।

टंबललॉग जाहिर तौर पर मेरे जैसे चिट्ठाकारों के लिये नहीं जो कम शब्दों में कुछ लिखना मुश्किल पाते हैं। अनूप के लिये तो टंबललॉग बनाना शर्तिया मुश्किल है। मुझे प्रथम दृष्ट्या एक ही व्यक्ति सर्वथा उपयुक्त लगता है हिन्दी का पहला टंबललॉग बनाने के लिये और उनका नाम पहले से ही आलोकित है।

अगली प्रविष्टि में : हस्तलिखित चिट्ठे