Update: Thanks to Web Archives all lost issues of Nirantar have now been restored and are available at http://www.nirantar.org.

मेरी मूर्खता की वजह से निरंतर पत्रिका के अक्षरग्राम पर रखे पुराने अंक पूर्णतः नष्ट हो चुके हैं और हमारे पास पुराने अंकों का कोई भी बैकअप उपलब्ध नहीं है। ये शायद मेरे जीवन का सबसे दुखदायी दिन है, काश टालमटोल करने की बजाय मैं पुराने अंकों के बैकअप पहले ही रख लेता।

यदि आपके पास निरंतर के पुराने अंक (जो http://nirantar.org पर उपलब्ध हैं उनसे पहले के अंक) या उन अंकों के लेख उपलब्ध हों तो मुझे ईमेल कर भेज दें। आपके प्रयास से शायद वे अंक हम बचा सकें।