खेलों में देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का विकेंदà¥à¤°à¥€à¤•रण
ज़रा इस सवाल का जलà¥à¤¦à¥€ से बिना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सोचे जवाब दें। à¤à¤¾à¤°à¤¤ का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ खेल कौन सा है?
अगर आप सोच में पड़ गये या फिर आपका जवाब कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट, टेनिस जैसा कà¥à¤› था तो जनाब मेरी चिंता वाजिब है। हमारा राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ खेल हॉकी है। पर पिछले कई दशकों में खेलों की हवा का रà¥à¤– कà¥à¤› यों हà¥à¤† है कि हम मà¥à¤°à¥€à¤¦ बने बैठे हैं à¤à¤• औपनिवेशिक खेल के। और इस खेल में à¤à¥€ चैपल-गांगà¥à¤²à¥€ की हालिया हाथापाई दे तो यही पता चलता है कि खेलों पर आयोजक, चैलन, चयनकरà¥à¤¤à¤¾ और राजनीति इस कदर हावी हो गई है कि अब खिलाड़ी और कोच à¤à¥€ अपने हà¥à¤¨à¤° नहीं राजनीतिक दाà¤à¤µà¤ªà¥‡à¤‚चों के इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रà¥à¤šà¤¿ दिखाते हैं।
हम बरसों से सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ देखते आये हैं राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ और आलमà¥à¤ªà¤¿à¤•à¥à¤¸ जैसे अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾à¤“ं में चयन के सियासी खेल की, कहानी जो हर बार बेहयाई से दोहराई जाती है। हमारे सà¥à¤•à¥à¤µà¥‰à¤¡ में जितने खिलाड़ी नहीं होते उनसे ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अधिकारी होते हैं। हॉकी जैसे खेल, जिनमें हम परंपरागत रूप से बलशाली रहे, में हम आज फिसडà¥à¤¡à¥€ हैं और निशानेबाजी जैसे नठखेलों पर अब हमें आस लगानी पड़ रही है। 100 करोड़ की जनसंखà¥à¤¯à¤¾ वाला हमारा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾à¤“ं में à¤à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ पदक के लिये तरसता है।
हम यह à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ रहते हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ टà¥à¤°à¥ˆà¤• à¤à¤‚ड फीलà¥à¤¡ आयोजनों में सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤®à¤¿à¤¨à¤¾ के मामले में यà¥à¤°à¥‹à¤ªà¤¿à¤¯ देशों का सामना नहीं कर सकते, या फिर कि अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं ने जानबूठकर हॉकी जैसे खेलों के नियमों में इस कदर बदलाव किये हैं कि सारा खेल डà¥à¤°à¤¿à¤¬à¤²à¤¿à¤‚ग जैसे à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ कौशल की बजाय दमखम का खेल बन गया। मà¥à¤à¥‡ यह समठनहीं आता कि कब तक हम ये बहाने बनायेंगे। चीन à¤à¥€ तो à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ देश है और हॉकी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¥€ खेल रहा है। अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ खेलों को छोड़ें, हमारे अपने घरेलू सà¥à¤¤à¤° पर कितने बड़े आयोजन होते हैं? कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤•ूलों में कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट के अलावा किसी और खेल पर जोर दिया जाता है?
जाने आपने यह टाईमà¥à¤¸ में पà¥à¤°à¤•ाशित गेल आमà¥à¤µà¥‡à¤Ÿ का यह हालिया लेख पà¥à¤¾ की नहीं! उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अमरीका से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤¯à¥‡ बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ पेश किया है। मà¥à¤à¥‡ उनका यह विचार बड़ा रोचक लगा कि, “छोटी या सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से खेलों का पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¾à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤• विकेंदà¥à¤°à¥€à¤•रण हो सकेगा और इससे खेलों की राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ फलेगी फूलेगी ही”। गेल का कहना यही है कि खेल की देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में केवल अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° के आयोजनों के लिये ही सामने आती है जबकि अमेरिका में à¤à¤¸à¤¾ नहीं हैं।
तकरीबन कोई à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं देता अगर अमेरीका किसी अनà¥à¤¯ देश के साथ खेल रहा हो जब तक की मामला आलमà¥à¤ªà¤¿à¤•à¥à¤¸ का न हो। अमेरिका में बड़े खेल राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर नहीं बलà¥à¤•ि महानगरीय या राजà¥à¤¯ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर होते हैं…वहाठछोटे शहरों, सà¥à¤•ूलों के सà¥à¤¤à¤° पर देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ है। हर हाईसà¥à¤•ूल का अपना चिनà¥à¤¹ है, गीत है, विरोधी हैं। अमेरिका का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केवल फà¥à¤Ÿà¤¬à¥‰à¤², बासà¥à¤•ेटबॉल, बेसबॉल जैसे बड़े खेल ही नहीं खींचते। बचà¥à¤šà¥‡ हर सà¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾ में à¤à¤¾à¤— लेते हैं, बैडमिनà¥à¤Ÿà¤¨, टेबल टेनिस, बॉली बॉल, आइस हॉकी, जो à¤à¥€ खेल हो।
निःसंदेह दिकà¥à¤•तें और à¤à¥€ हैं। कबà¥à¤¬à¤¡à¥€, खोखो, मलखमà¥à¤¬ जैसे घरेलू खेलों के खिलाड़ियों का न तो नाम हमारे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अखबारों में आता है न ही कोई उन पर पैसा लगाने को तैयार होता है। पैसों की बात तो अहम है, खास तौर पर जब खेल टेनिस जैसा गà¥à¤²à¥ˆà¤®à¤° वाला न हो। कई दफा यह लगता है कि खेलों का बजट आखिर रकà¥à¤·à¤¾ या विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जितना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं होना चाहिये? गेल का इस विषय पर विचार अलग है। उनका कहना है कि सरकारी पैसे पर निरà¥à¤à¤°à¤¤à¤¾ हो ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? अमरीका के विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ खेलों के मरà¥à¤•ेनà¥à¤¡à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼ और टिकटों से कमा लेते हैं, खेलों से कमाई होती है तो इनके à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ गरीब परिवारों के बचà¥à¤šà¥‡ खेल वज़िफों पर विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में पॠलेते हैं। निजी फंडिंग से ही सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ और खेल का साजो सामान का जà¥à¤—ाड़ होता है।
सानिया मैनिया के दौर में कà¥à¤¯à¤¾ कोई इस बात को सà¥à¤¨à¥‡à¤—ा?