भारतीय काफी छिद्रान्वेशी होते ही हैं॥ हर सेवा, हर चीज़ पर नाकभौं सिकोड़ना, हर बात में नुक्स निकालना और यहाँ तक की अपने ब्लॉग का नाम और विषय भी नुक्ताचीनी रख लेना। पर और अगर यह सब करने के लिये पैसे भी मिलने लगे तो? “स्वपोषित ब्लॉगविधा” या “व्यावसायिक चिट्ठाकारिता” के समर्थक मेरे कई ब्लॉग […]