छायाः अकà¥à¤·à¤¯ महाजन à¤à¤• बात कहूं?बचपन के दिन अचà¥à¤›à¥‡ थे।कान उमेठे जाने पर दरà¥à¤¦ तो होता थापर वो शरारतों में नहीं उतरता था।कान तो अब à¤à¥€ उमेठे जाते हैंपर दरà¥à¤¦ ज़रा नहीं होता।अब शरारत करने से जी घबराता है। à¤à¤• बात कहूं?बचपन के दिन अचà¥à¤›à¥‡ थे।लड़ते थे, रोते थे, रà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ à¤à¥€ थेऔर कà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ की उमà¥à¤° […]