अटल वà¥à¤¯à¤¥à¤¾
à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ à¤à¤¾à¤°à¤¤ पà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर लगी और उसकी रवानगी à¤à¥€ हो गई। इन सारे वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में और हालिया घटनाकà¥à¤°à¤® से यह बात कà¤à¥€ à¤à¥€ पलà¥à¤²à¥‡ नहीं पड़ी कि आखिर वाजपेयी को गले लगाठरखने की à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾à¤ˆ मजबूरी कà¥à¤¯à¤¾ है। वैंकैया ने सीधे कह दिया कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आधारित राजनीति अब नहीं होगी, मोदी बने रहेंगे, फिर अगले ही पल वाजपेयी की मनौवà¥à¤µà¤² में जà¥à¤Ÿ गà¤à¥¤ दरअसल सोनिया के नाम पर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ का विरोध कर अपने बाल नोंचने वाले à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾à¤ˆ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पीछे रहते तो आज पारà¥à¤Ÿà¥€ कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¤¾à¤“ं की रज़ामंदी के खिलाफ जाकर उमा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ और वसà¥à¤‚धरा राजे की ताज़पोशी न हो पाती। सारे वाकये पर कविहà¥à¤°à¤¦à¤¯à¥€ पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ (जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ “थाली का बैंगन” मà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤°à¥‡ को पहले à¤à¥€ चरितारà¥à¤¥ किया है) ने कराह कर कहा “बस और नहीं” पर फिर पहले का कहा मज़ाक में टाल गà¤à¥¤ इधर à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ का à¤à¤¾à¤µà¥€ चरितà¥à¤° कैसा होगा यह तय कर पाना उतना ही दà¥à¤·à¥à¤•र होता जा रहा है जितना कि पà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाना कि इस साल मॉनसून कैसा रहेगा।
बहरहाल जैसा कि मेरा पà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¨ था, वाजपेयी जी का यà¥à¤— और à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ की उदार छवि दोनों ही à¤à¥‚तकाल की बातें हो जाने वाली हैं। पतà¥à¤°à¤•ार कमलेशà¥à¤°à¤° ने सही कहा है, “वाजपेयी का सैधानà¥à¤¤à¤¿à¤• निरà¥à¤—म हो चà¥à¤•ा है”। à¤à¤¸à¥‡ में उगà¥à¤° हिंदू छवि वाले नेताओं के तो वारे नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ होंगे पर कमोबेश तटसà¥à¤¥ छवि वाली जमात का कà¥à¤¯à¤¾ होगा, राम जाने! संघ पहले ही कह चà¥à¤•ा है कि “चीते का दाग छोड़ देना” à¤à¥‚ल थी। इसलिठ“तिल गà¥à¥œ” फैकà¥à¤Ÿà¤° को तिलांजली दे कर राम फिर याद आने लगे हैं। मà¥à¤à¥‡ डर है कि अपने दाग वापस पाने की फिराक़ में यह घायल चीता कहीं आदमखोर न हो जाà¤à¥¤