कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति लोगों का विरोध दरअसल एक नई क्रांति की दस्तक है, जहाँ चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला सीखनी होगी।
आगे पढ़ें![कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर](https://i0.wp.com/nuktachini.debashish.com/wp-content/uploads/2025/01/Optical-illusion-shephard-elephant.jpg?fit=640%2C480)
कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति लोगों का विरोध दरअसल एक नई क्रांति की दस्तक है, जहाँ चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला सीखनी होगी।
![क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं? क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?](https://i0.wp.com/nuktachini.debashish.com/wp-content/uploads/2024/05/EV-battery.jpg?fit=640%2C469)
क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?
शुरुआती ईवी के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।
![कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य? कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?](https://i0.wp.com/nuktachini.debashish.com/wp-content/uploads/2024/05/traffic-jam.jpg?fit=640%2C427)
कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?
क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।
![क्या आपके प्रॉविडेंट फंड का पैसा आपको मिले पायेगा? क्या आपके प्रॉविडेंट फंड का पैसा आपको मिले पायेगा?](https://i0.wp.com/nuktachini.debashish.com/wp-content/uploads/2024/05/epfo.jpeg?fit=732%2C423)
क्या आपके प्रॉविडेंट फंड का पैसा आपको मिले पायेगा?
हम अपने खून पसीने की कमाई सरकार पर भरोसा कर उनके पास जमा रखते हैं ताकि हमारे जीवन की संध्या बेफिक्र बीते पर ये राशि ज़रूरत पड़ने पर हमें मिले ही नहीं तो क्या होगा? फालतू कारणों से दावों को खारिज होना चिंताजनक है।
![कोउ नृप होउ Jayshree](https://i0.wp.com/nuktachini.debashish.com/wp-content/uploads/2017/01/Jayshree.jpg?fit=230%2C297)
कोउ नृप होउ
हम सोचते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ नेता और राजनीति है, इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह हैं। सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह नहीं बदलते।
सौहार्दपूर्ण उदासीन आश्चर्य
गूगल के अनुवादक की कृपा से आज यह मजेदार ईमेल मिली (मूल ईमेल के कुछ हिस्से छुपा दिये गये हैं)