पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
शैल ने मेरे चिठà¥à¤ े “राजनीतिक योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हो” पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ लिखी हैः
बीजेपी को सोनिया से कà¥à¤¯à¤¾ समसà¥à¤¯à¤¾ है ये तो वो ही बता सकते हैं,लेकिन मà¥à¤à¥‡ जो बात खटकती है वो है काà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¸ की कà¥à¤¨à¤¬à¤¾à¤ªà¤°à¤¸à¥à¤¤à¥€à¥¤ आखिर ये लोग नेतृतà¥à¤µ के विचारों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के बजाय इस बात पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बल देते रहते हैं कि सोनिया “गाà¤à¤§à¥€” हैं इसलिये हमें उनको वोट देना चाहिये।
शैल, अगर आप मà¥à¤ पर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ होने का शक न करें तो मैं ये कहà¥à¤‚गा कि वंशवाद का इलà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤® सिरà¥à¤« गांधी घराने पर लगाना शायद पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ उचित नहीं है। कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤¾ महाजन अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को विधानसà¤à¤¾ टिकट न मिलने पर मà¥à¤à¤¹ फà¥à¤²à¤¾à¤ नहीं घूमतीं फिर रहीं? कà¥à¤¯à¤¾ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ सिंधिया घराने की नहीं हैं? कà¥à¤¯à¤¾ फारà¥à¤°à¥à¤– अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾ के पà¥à¤¤à¥à¤° का राजनीतिक जीवन वंशवाद की उपज नहीं? अजीत सिंह व ओम पà¥à¤°à¤•ाश चौटाला की राजनैतिक नींव किसने रखी? दरअसल हर पारà¥à¤Ÿà¥€ किसी न किसी करिशà¥à¤®à¤¾à¤ˆ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की तलाश में है जिसका हाथ थाम कर चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ वैतरणी पार हो जाà¤à¥¤
हाà¤, कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में बगैर गांधी उपनाम के करिशà¥à¤®à¤¾à¤ˆ बन पाना ज़रा टेड़ी खीर है। माधवराव सिंधिया व राजेश पायलट दोनों à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ वाले थे पर अब वो हैं नहीं, सोनिया के नाम पर आम राय कà¤à¥€ थी ही नहीं। मनमोहन का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सौमà¥à¤¯ हो पर मनमोहनी नहीं है, बचे कौन? नरसिंह राव, पà¥à¤°à¤£à¤µ मà¥à¤–रà¥à¤œà¥€, नारायण दतà¥à¤¤ तिवारी या मोतीलाल वोरा तो अब अकेले रथ खींचने के लिठये सà¤à¥€ बहà¥à¤¤ बà¥à¥à¤¾ चà¥à¤•े हैं। तिस पर इनकी कोई बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ जनाधार à¤à¥€ नहीं है। जाहिर है निगाहें आ टिकी हैं पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का और राहà¥à¤² पर। कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ मजबूरी का नाम…गांधी।