सागरिका घोष मानती हैं कि à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ के मन में यह पेच रहा है कि वह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, कलाकारों और इतिहासकारों का दिल नहीं जीत पाई। सर विदिया को मंच पर ला कर वे इस बात को à¤à¥à¤Ÿà¤²à¤¾à¤¨à¤¾ चाहते हैं। कैसी विडंबना है कि जिस जमात के विचारों को छदà¥à¤® धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ या वामपंथी विचारधारा बता कर खारिज […]