वक्त भी कैसे कैसे रंग दिखाये! कुछ साल पहले तक भारतीय मूल के हॉलीवुड फिल्म निर्माता जगमोहन मूँदड़ा अपनी सी ग्रेड फिल्मों के लिये जाने जाते थे। उनकी फिल्मों की पटकथा में कहानी का कम और सेक्स सीन्स का महत्व ज्यादा रहता था। दर्शक ऐसी फिल्मों में “काम के सीन्स” देखने के लिये ही टिकट खरीदते हैं। और ऐसी फिल्मों मे काम कर के गुलशन ग्रोवर और मार्क ज़ुबेर जैसे लोंगो को हॉलीवुड “पहुँच” जाने की गफलत हो जाती है और गॉसिप मैगज़ीन्स पर अपने इंटरनैशनल एक्सपोजर का बरसों हवाला देने का बहाना भी मिल जाता है। प्लासटिक स्माईल ऐश्वर्या राय वक्त के ऐसे दोराहे पर खड़ी हैं जहाँ “इंटरनैशनल एक्सपोजर” की गलफहमी और “मिडिल एज क्राईसिस की हार्मोनल उथम पुथल” दोनों से आँखें चार हो रही हैं। अभिनय की बजाय उन्हें अपना शरीर साबित करना है, साबुन के विज्ञापनों तक में आवरण लघुता की ओर बढ़ रहे हैं। मूँदड़ा की नई फिल्म “प्रोवोक्ड” में ऐश ब्रिटेन में रह रहे नवीन एंड्र्यूस की पीड़ित पत्नी की भूमिका निभा रही हैं (और मेरे ख्याल से अब भारतीय मूल के कलाकार नवीन एंड्र्यूस ने हॉलिवुड में आर्ट मलिक की जगह ले ली है, क्योंकि जहाँ भी भारतीय या पाकिस्तानी किरदार आये तो बस कास्टिंग वालों को कोई और नाम सूझता ही नहीं)। राजस्थान में ऊँची जात के पुरुषों की बलात्कार की शिकार एक युवती के चरित्र पर नंदिता दास के साथ बवंडर नामक फिल्म बनाकर मूँदड़ा उद्देश्यपूर्ण फिल्मकार बनने के ख्वाब को सच बनाने की राह पर चल पड़े हैं।

पब्लिक फिगर बन जाने के नफे नुकसान दोनों ही हैं। लोग आपके व्यक्तिगत जीवन में ताक झाँक तो करते ही हैं किरदारों से आपकी तुलना भी शुरु कर देते हैं। मैं खुद यह कहने से लोभ संवरण नहीं कर पा रहा कि ऐश्वर्या के पीड़ित पत्नी की भूमिका निभाने की बात कुछ वैसी ही है जैसी अमिताभ के किसी दरिद्र की भूमिका निभाने की बात। कहीं पढ़ा था कि ऐश अपने होने वाले मनमीत में वो तत्व तलाशती हैं जो हमेशा बदलता रहता है, वो हमेशा सफल आदमी का दामन थामती रही हैं, जहाँ सफलता का पारा गिरा मैडम हाथ छुड़ा कर किसी और की तलाश शुरु कर देती हैं। सलमान जब तॉप पर थे तब उनके साथ हो लीं, फिर विवेक का कैरियर ग्राफ चढ़ा और ऐश के साथ प्रेम भी परवान चढ़ा और अब सुनते हैं कि सफलता की ओर अग्रसर अभिषेक से उनका याराना बढ़ रहा है। अब हम ये पैटर्न हम बिगबी के सुपुत्र को बताने जायें तो बोलेंगे कि…