मैन विथ अ बà¥à¤°à¥€à¤«à¤•ेस
आफिस जाते वकà¥à¤¤ वरà¥à¤²à¥à¤¡ टà¥à¤°à¥‡à¤¡ सेंटर (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीसी) के पास बने लिबरà¥à¤Ÿà¥€ पारà¥à¤• से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ हूठऔर वहाठहमेशा à¤à¤• सूटेड बूटेड साहब बैंच पर बैठे मिलते हैं, अपने बà¥à¤°à¥€à¤«à¤•ेस में कà¥à¤› खोजते हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ लोग उनके साथ बैठकर, गले में हाथ डालकर या बाल सहलाते हà¥à¤¯à¥‡ फोटो खिंचवाते हैं। ये साहब यहाठबरसों से जमे हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये 1982 में बनी कांसे की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है जिसका नाम है “डबल चेक” और जिसकी रचना शिलà¥à¤ªà¤•ार जे सेवरà¥à¤¡ जॉनसन ने की। यूं तो अनेकों शिलà¥à¤ª à¤à¤¸à¥‡ या इससे बेहतर होंगे पर इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ की खास बात ये है कि ये डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीसी के परिसर में ही मूलतः सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ थी। डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीसी के धाराशयी होने के बाद ये जरà¥à¤œà¤° अवसà¥à¤¥à¤¾ में पहà¥à¤‚च गई और लोगों ने इस पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देते हà¥à¤¯à¥‡ उपहार रखे। ऊपर से गिरे मलबे के बीच à¤à¥€ बचे रहने की वजह से ये सरवाईवल का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• à¤à¥€ बन गया। लोगों के सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ का मान रखते हà¥à¤¯à¥‡ शिलà¥à¤ªà¤•ार ने इसकी मरमà¥à¤®à¤¤ कर डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚टीसी के नज़दीक के पारà¥à¤• में पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया।
दिसंबर 2001 के पहले चितà¥à¤° में है जरà¥à¤œà¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ और अगले में आज का चितà¥à¤°à¥¤
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à¤à¤¾à¤ˆ वाह,
हमको तो कà¤à¥€ नà¥à¤¯à¥‚यारà¥à¤• जाने का मौका नहीं मिला अà¤à¥€ तक, मिलेगा तो अवशà¥à¤¯ देखेंगे इस शिलà¥à¤ª को ।
à¤à¤¸à¥‡ ही अचà¥à¤›à¥€ जानकारियाठउपलबà¥à¤§ कराते रहें
रोचक जानकारी। शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾
हमें पहली नजर में लगा कि साहब लैपटॉप लिठबैठे हैं। वो कहते हैं न कि सावन के अंधे को सब हरा-हरा दिखता है। 🙂
अचà¥à¤›à¥€ जानकारी.
रोचक जानकारी के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦.
देबाशीष à¤à¤¾à¤ˆ..इस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को देख कर लगता है कि ये मà¥à¤²à¥à¤• वाकई अपने करà¥à¤® के लिये कितना चैतनà¥à¤¯ है..यदि अमेरिका दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अगà¥à¤†à¤ˆ कर रहा है तो इसका à¤à¤• बड़ा शà¥à¤°à¥‡à¤¯ वहाठके करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—ी बाशिंदों को दिया जाना चाहिये…ये शिलà¥à¤ª बतियाता है और कारà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समरà¥à¤ªà¤£ जो अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करता है.