कृतà¥à¤°à¤¿à¤® मेधा (AI): विरोध से परिवरà¥à¤¤à¤¨ की ओर
आज à¤à¤• दिलचसà¥à¤ª परिदृशà¥à¤¯ सामने है।
- पाठक कहते हैं कि वे à¤à¤†à¤ˆ -जनित सामगà¥à¤°à¥€ नहीं पढ़ना चाहेंगे। पà¥à¤°à¤•ाशक à¤à¤¸à¥‡ लेखों से दूर à¤à¤¾à¤— रहे हैं।
- नियोकà¥à¤¤à¤¾ जेन†à¤à¤†à¤ˆ से तैयार किठगठबायोडाटा से परेशान हैं।
- शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥ चिंतित हैं कि असाइनमेंट और शोध-पतà¥à¤° चैट जीपीटी की मदद से लिखे जा रहे हैं।
किसी à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥‡ पà¥à¤°à¥‹à¤¡à¤•à¥à¤Ÿ मैनेजर से पूछिà¤, वह यही कहेगा कि पहले बाजार की पहचान करें, फिर उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ बनाà¤à¤‚। तो सवाल उठता है कि आखिर यह तकनीक किसके लिठबनाई गई, जब इतने हितधारक इसके वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• उपयोग को अपनाने में हिचक रहे हैं?
शायद हम गलत सवाल पूछ रहे हैं।
à¤à¤†à¤ˆ कोई उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ नहीं है – यह à¤à¤• उपकरण है। किसी à¤à¥€ आविषà¥à¤•ार की तरह, इसका दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— हो सकता है, इसे गलत समà¤à¤¾ जा सकता है, या इसकी नई परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ गढ़ी जा सकती है।
- ऑटोमोबाइल से लोग उसकी गति और संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ खतरों के कारण डरते थे, इससे पहले कि यह परिवहन में कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति ला सके।
- इंटरनेट पर उसके तà¥à¤šà¥à¤› अनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों को लेकर सवाल उठाठगà¤, इससे पहले कि यह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को जोड़ने में सफल हो।
à¤à¤†à¤ˆ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विरोध शायद इसके उपयोग के तरीके से उपजा है:
- लेखक अपनी कला में पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•ता खोने से डरते हैं
- नियोकà¥à¤¤à¤¾à¤“ं को चिंता है कि वे सजे-सà¤à¤µà¤°à¥‡, लेकिन खोखले आवेदनों को कैसे छाà¤à¤Ÿà¥‡à¤‚
- शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥ वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ की कमी से जूठरहे हैं
लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ यह à¤à¥€ सच नहीं है कि उपकरण समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से निपटने के हमारे तरीके को बदल देते हैं?
- कà¥à¤¯à¤¾ होगा अगर à¤à¤†à¤ˆ लेखकों की उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ता बढ़ाà¤, उनकी मूल आवाज को सहेज कर रखते हà¥à¤?
- कà¥à¤¯à¤¾ होगा अगर नियोकà¥à¤¤à¤¾ कीवरà¥à¤¡ से à¤à¤°à¥‡ बायोडाटा की बजाय कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ के गहरे आकलन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें?
- कà¥à¤¯à¤¾ होगा अगर शिकà¥à¤·à¤• रटंत कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की बजाय महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सोच को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता देते हà¥à¤ शिकà¥à¤·à¤¾ को नठसिरे से परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करें?
इसलिठसही सवाल यह होना चाहिà¤: हम इसके उपयोग को कैसे पà¥à¤¨à¤°à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करें ताकि यह मानवीय मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प हो?
आखिरकार, विरोध अकà¥à¤¸à¤° यह संकेत देता है कि हम परिवरà¥à¤¤à¤¨ के कगार पर हैं।
तो, यह पूछने के बजाय कि “à¤à¤†à¤ˆ किसके लिठहै?”, हमें यह पूछना चाहिà¤, “हम à¤à¤†à¤ˆ को अपने लिठकैसे उपयोगी बना सकते हैं?”