बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग विधा कितनी लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है यह हम सब ही जानते हैं, हर कोई अपनी बात कहने को उतà¥à¤¸à¥à¤• है। विधा पनपी तो इसने अनà¥à¤¯ अनेक रूप गà¥à¤¨à¥‡ शà¥à¤°à¥ किये, केवल कड़ियों का समावेश करने वाले लिंकबà¥à¤²à¥‰à¤—, मोबाईल फोन से की जा सकने वाली मोबà¥à¤²à¥‰à¤—िंग, अपनी आवाज़ को रिकारà¥à¤¡ कर पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ का रूप दी जा सकने […]