पिछले कई दिनों से कई किसà¥à¤® के फितूर सवार रहे हैं और अब थोड़ी राहत मिली कि इनमें से कà¥à¤› फलीà¤à¥‚त à¤à¥€ हà¥à¤¯à¥‡ हैं। पहला फितूर तो पॉडकासà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग का ही था, चलो रेडियो न सही यहीं हाथ आजमा लिया जाय ये सोच कर शशि के साथ पिछले पखवाड़े पॉडà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ पॉडज़ीन की शà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¤ की गई। […]
Update: Thanks to Web Archives all lost issues of Nirantar have now been restored and are available at http://www.nirantar.org. मेरी मूरà¥à¤–ता की वजह से निरंतर पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा के अकà¥à¤·à¤°à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® पर रखे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ अंक पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ नषà¥à¤Ÿ हो चà¥à¤•े हैं और हमारे पास पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ अंकों का कोई à¤à¥€ बैकअप उपलबà¥à¤§ नहीं है। ये शायद मेरे जीवन का सबसे […]