जो यह हजरत कह रहे है कà¥à¤› कà¥à¤› वैसा ही खà¥à¤¯à¤¾à¤² मेरा à¤à¥€ है। पर पहले बात इस पेंटिंग, जिसका नाम यकीनन कà¥à¤› à¤à¥€ हो सकता था, “महिशासà¥à¤°” की, यह तैयब मेहता साहब की पेंटिंग है। आपने सà¥à¤¨à¤¾ ही होगा कि यह तिकड़म १ नहीं २ नहीं ३ नहीं पूरे ॠकरोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में किसी […]