गया गया गया
नेटभ्रमण के दौरान आज भाषा प्रयोग के विषय में कुछ मज़ेदार बातें पता चली, शायद आपको पता हो।
“होमोनिम्स” ऐसे शब्द होते हैं जिनका उच्चारण और हिज्जे समान हों पर अर्थ अलाहदा होते हों। अंग्रेज़ी में तो ऐसे शब्दों की भरमार है जैसे कि bank जो कि नदी के किनारे, बिजली के स्विच की कतार और बचत बैंक दोनों के संदर्भ में प्रयुक्त होता है या फिर desert (रेगिस्तान या परित्याग करना)। मज़ा तब आता है जब एक से सुनाई देने वाले शब्दों के प्रयोग से होमोनिम्स की एक और किस्म “होमोफोन्स” तैयार हो जाते हैं। “Nose Knows No Snows” बोल कर देखिये, सुनने वाले को यूं लगेगा कि Nose शब्द को ही चार दफा बोला गया है। विकीपीडिया के इस पृष्ठ को देखें जहाँ ढेर सारे होमोफोन्स वाक्यांश दिये हैं। ऐसा ही हिन्दी का भी वाक्य है, “गया गया गया”, सिर्फ दुहराये शब्द नहीं ये एक पूरा वाक्य है, ध्यान से पढ़ें।
होमोनिम्स को समानार्थी शब्दों के तौर पर तो खैर हिन्दी में हम सदा से प्रयोग करते आये हैं, “प्रश्न है कि उत्तर क्या है?” जैसी पहेलियों में, “अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में” जैसे द्विअर्थी कोंडकीय फिल्मी प्रसंगों में या फिर “कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाए बौराए जग वा पाए बौराए” जैसे नीतिवाक्यों में।
शब्दों के ही सिलसिले में एक और विधा है स्पूनरिज़्म जो कि शब्दों के हेरफ़ेर का कारनामा है। टिनटिन के कॉमिक्स में थॉमसन एंड थॉमसन को तो स्पूनरिज़्म की बीमारी ही है। वैसे जल्दी बात करते समय कई बार ये हेरफ़ेर अनजाने ही हो जाती है, सुनने पर बड़ा आश्चर्य होता है कैसे दो शब्दों को मस्तिष्क ने बड़ी खूबी से ताश के पत्तों की तरह फेंट दिया, हम तो कई बार चुहल करते ये कहते थे, “ठीक है मिलते हैं नौने पों बजे”। पर असली स्पूनरिज़्म तो वो होगी जिसमें नये वाक्यांश का भी कोई मज़ेदार अर्थ निकले जैसे कि विलियम स्पूनर की उक्ति “The Lord is a shoving leopard” जबकि वे कहना चाह रहे थे “The Lord is a loving sheopard”।
अगर आप के पास होमोनिम्स, होमोफोन्स या स्पूनरिज़्म के हिन्दी उदाहरण हों तो ज़रूर बतायें।
आह, मज़ेदार टॉपिक.
हिन्दी में होमोनिमों (समवर्तनी शब्द?) के प्रयोगों को यमक और श्लेष अलंकारों के नाम से जाना जाता है. ‘यमक’ में शब्द की आवृत्ति होती है, पर भिन्न अर्थों में. आपका ‘गया गया गया’ भी यमक का उदाहरण है. एक मिसाल देखिए,
१: उरबसी = एक अप्सरा का नाम – उर्वशी
२: उर बसी = हृदय में बसी
३: उरबसी = एक आभूषण का नाम
जैसा कि दिख रहा है, यहाँ दूसरा ‘उर बसी’ होमोफ़ोनस (समध्वन्यात्मक) है, पूर्णतः होमोनाइम नहीं.
‘श्लेष’ में शब्द के एक ही प्रयोग में एक से अधिक अर्थ होते हैं. जो दादा कोंडकी उदाहरण आपने दिया है, वह श्लेष ही है. एक और ये रहा,
इसमें पानी (तीनों में से किसी भी जगह) के तीन अर्थ होते हैं – चमक, इज़्ज़त/शर्म, और पानी यानी जल.
यमक की कुछ और मिसालें गानों में देखिये.
और फिर. देखें दूसरे क्या लिखते हैं.
काफी रुचिकर जानकारी दी। शब्द तो हिन्दी में बहुत होंगे ऐसे लेकिन इस एंगल से सोचा नहीं गया उनपर।
बढ़िया है
-पीयूष
रोचक जानकारी है
🙂 सही है.
इस तरह के अलंकार का प्रयोग रहीम ,कबीर आदि के दोहों में बहुत हुआ है.
“माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥”
कबीर
एक और रहीम दासजी का दोहा, जो स्कूल में पढते थे.
रहीमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून.
पानी गये ना उबरे, मोती मानूष चून.
यहां पानी का मतलब मोती और चूने के लिए जल है, मानूष के लिए ईज्जत है.
चरन धरत चिन्ता करत चितवत चारहूं ओर.
सुवरन को खोजत फिरत कवि व्याभिचारी चोर.
सुवरन का मतलब कवि के लिए अच्छा शब्द (वर्ण), व्याभिचारी के लिए सुन्दर स्त्री और चोर के लिए सोना है.