अब तो छोड़ो मोह!
हाल ही में हासà¥à¤¯ कवि पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª चौबे के दो†लाईना पर पà¥à¤¨à¤ƒ नज़र पड़ीः
काहे के बड़े हैं,
अगर दही में पड़े हैं।
सतà¥à¤¤à¤¾ को लालायित à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ के शीरà¥à¤· नेतृतà¥à¤µ के बारे में यह काफी सटीक वचन हैं। सतà¥à¤¤à¤¾ से विछोह के बाद से उपरी तौर पर सà¥à¤—ठित दिखने वाले संगठन की अंदरूनी दरारें तो खैर काफी दिनों से नज़र आ ही रही थीं। सà¥à¤·à¤®à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ, पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦ महाजन, उमा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ जैसे अनेकों टकटकी लगाये बैठे रहे हैं की पारà¥à¤Ÿà¥€ में उनका कà¥à¤› दबदबा कायम हो। राजनीति के पानी की सचाई यही है कि जो नेता मà¥à¤–रित रूप से सतह पर नज़र आते हैं उनका वज़न वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• नियमों के तहत हलà¥à¤•ा ही होता है। जिनà¥à¤¨à¤¾ की तारीफ में कसीदे पà¥à¤¨à¥‡ के बाद से ही आडवाणी का सिंहासन डोल उठा था, खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ जैसे लोग इस फ़िराक में थे कि इसी तेज़ कैटरियानी बयार की ओट में अपना उलà¥à¤²à¥‚ सीधा हो जाय तो अचà¥à¤›à¤¾à¥¤ खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ और उमा जैसे नेताओं का पारà¥à¤Ÿà¥€ में आधार ठीकठाक है पर समय समय पर पारà¥à¤Ÿà¥€ इनसे करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पालन के नाम पर बलिदान à¤à¥€ मांगती रही है, उमा को मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का ताज़ सौंपना पड़ा गौर को तो खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¥€ हाशिये पर आने को मजबूर हà¥à¤à¥¤ कल वाजपेयी और आडवाणी के मनमà¥à¤Ÿà¤¾à¤µ का फायदा ले कर बचने की सोच रहे खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ के राजनैतिक करियर की ताबूत में आखिरकार अंतिम कील जड़ ही दी गई, हालांकि काà¤à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¸ शायद जलà¥à¤¦ ही पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¾à¤¯à¥ पà¥à¤¨à¤ƒ फूंकने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करे। खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ के खà¥à¤° कतरने के पीछे पारà¥à¤Ÿà¥€ का साफ संकेत यहः की पंगा ना लै मेरे नाल।
वाजपेयी के हालिया राजनैतिक चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ से उपजते मोहà¤à¤‚ग के शबà¥à¤¦ से मेरा यह विचार बना था कि चलो शायद à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ इस बारे में राजनैतिक अपवाद बने और शीरà¥à¤· नेता ससमà¥à¤®à¤¾à¤¨ पदतà¥à¤¯à¤¾à¤— कर नये लोगों को, खास तौर पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मोहरों को, आगे आने का मौका दें। पारà¥à¤Ÿà¥€ की सेहत की ज़मीन के लिये à¤à¥€ यह गà¥à¥œà¤¾à¤ˆ अचà¥à¤›à¥€ होती, नीचे की उपजाउ ज़मीन उपर आती और खरपतवार à¤à¥€ साफ होते। पर परिणाम में फिर वही ढाक के तीन पात! फिर वही पॉवर सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ल, वही पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ लड़ाई वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ की। अरे à¤à¥ˆà¤¯à¥‡, 85-90 पार कर लिये आपने, जाने कब बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आ जाय, जितनी इज़à¥à¤œà¤¤ और पैसा बनाना था सो तो बना ही लिया होगा, अब तो छोड़ो मोह। पद पर रह कर à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ रहे हो? कà¥à¤¯à¤¾ अगले चà¥à¤¨à¤¾à¤µ की ज़मीनी तैयारी है? कà¥à¤¯à¤¾ सहयोगी दल से अà¤à¥€ à¤à¥€ यारी है? इन दलों की छोड़ो, कà¥à¤¯à¤¾ संघ और शिव सेना अब à¤à¥€ मन के मीत हैं? कà¥à¤¯à¤¾ संगठन की मजबूत à¤à¥€à¤¤ है? हर रोज़ तो आप लोग बयान बदलते हो, दोनों शीरà¥à¤· नेताओं में ही नहीं पट रही। फिर काहे के बड़े हो? सचाई का सामना करो, उमà¥à¤° का लिहाज़ करो, सचमà¥à¤š बड़ा बने रहना है तो बड़ा निरà¥à¤£à¤¯ तो लेना ही होगा।
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खà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾à¤œà¥€ ने बिना शरà¥à¤¤ माफी मांग ली है और पारà¥à¤Ÿà¥€ मे वापीस हो गये हैं.
वैसे इसमे नया कà¥à¤¯à¤¾ है ? किसà¥à¤¸à¤¾ वही पूराना है, जो मन मे आये बक दो, बाद मे या तो पलट जावो या कह माफी मांग लो. उमा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ वापिस आ चà¥à¤•ी है, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¸à¤¿à¤‚ह आ चà¥à¤•े हैं.
“कैटरियानी बयार…?”
बढ़िया है। कà¥à¤¯à¤¾ इस शबà¥à¤¦ का मूल दकà¥à¤·à¤¿à¤£ यूà¤à¤¸ में आया “कटरीना” नामक समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ तूफान है?
Debu da janmdin ki bahut bahut badhai…..vajpeyi ji sun lo kahe ke bare ho agar dahi me pare ho…..
आशीषः सही कहा आपने। यही लेख किसी और मौके पर à¤à¥€ फिट बैठेगा, हमारी राजनीति के अखाड़े में वही पà¥à¤°à¤¨à¤¾ दांव पेंच ही चलते हैं, बस पहलवान बदल जाते हैं।
रमणः आपका अंदाज़ा सोलह आने सही है।
तरà¥à¤£à¤ƒ शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾!