निरंतर में पाठकों की पूरी हिस्सेदारी हो: प्रत्यक्षा

निरंतर काउंटडाउन भाग ५ जब चिट्ठाकारी शुरु की लगभग उसी समय निरंतर से भी परिचय हुआ। पहली बार पढकर बहुत आनंद आया। इसलिये कि एक तो पढने का कुछ और मसाला मिला और दूसरे इसलिये कि ये पत्रिका कुछ अलग किस्म की लगी थी। अन्य जाल पत्रिकाओं से अलग इस मायने में थी कि कहानी […]