अटल व्यथा

भाजपा एक्सप्रेस भारत प्लैटफॉर्म पर लगी और उसकी रवानगी भी हो गई। इन सारे वर्षों में और हालिया घटनाक्रम से यह बात कभी भी पल्ले नहीं पड़ी कि आखिर वाजपेयी को गले लगाए रखने की भाजपाई मजबूरी क्या है। वैंकैया ने सीधे कह दिया कि व्यक्ति आधारित राजनीति अब नहीं होगी, मोदी बने रहेंगे, फिर […]

खिसियानी बिल्ली…

सुषमा सवराज मय पतिदेव राज्य सभा से पलायन करना चाहती हैं। वे भाजपा के राजनीति के WWF में एक विदेशी से पटखनी खाने के बाद से बेचैनी महसूस कर रहीं थी। अंबिका सोनी ने चुटकी ली, “अरे परवाह कौन करता है, वैसे भी श्रीमान स्वराज के मेम्बरशिप के दो ही महीने बचे हैं।” दरअसल सारी […]

दोस्ती की रिश्वत

जिह्वा ने हसीब के एक हास्यास्पद लेख की चर्चा इस चिट्ठे में की है। हसीब का मानना है कि अगर कश्मीर जीतना है तो भारत को पाकिस्तान से आगामी क्रिकेट श्रृंखला हार जाना चाहिए। हैरत होती है कि कलमकार कागज पर कश्मीर जैसी समस्या का किस तेजी से हल निकाल लेते हैं। तरस भी आता […]

अटली चेहरा सामने आए, असली सुरत छुपी रहे..

वीर सांघवी का कहना है (काफी हद तक मेरे विचारों से मिलता है) “वाजपेयी का कद हमें भाजपा की असली सूरत देखने से रोक देता है। समीकरण से उन्हें निकाल तो हमें ऐसे लोगों का दल मिलेगा जिन्हें सामुहिक हत्याओं से गिला नहीं, जो साधुओं से राजनीतिक परामर्श लेते हैं और जिन्होंने चुनावी रणनीतियां बनाने […]