निरंतर काउंटडाउन भाग 4 निरंतर को इसके प्रारंभ से ही लेखन और प्रकाशन की एकाधिक विधाओं की वर्णसंकरी (हाईब्रीड) के रूप मे देखता रहा हूँ। इन्टरनेट पर होते हुए भी माह में एक ही बार ‘टपकती’ निरंतर इलेक्टॉनिक माध्यम वाली द्रुत अविरलता से नहीं बहती। वहीं हर अंक के प्रकाशन से ही द्वीदिशी संवाद के […]