एक बात कहूं?
By देबाशीष • Jul 7th, 2007 • Category: आसपासछायाः अक्षय महाजन एक बात कहूं?बचपन के दिन अच्छे थे।कान उमेठे जाने पर दर्द तो होता थापर वो शरारतों में नहीं उतरता था।कान तो अब भी उमेठे जाते हैंपर दर्द ज़रा नहीं होता।अब शरारत करने से जी घबराता है। एक बात कहूं?बचपन के दिन अच्छे थे।लड़ते थे, रोते थे, रुलाते भी थेऔर कुट्टी की उम्र […]