मुगले आज़म से पगले आज़म तक

ज़ी टीवी के सारेगामापा पर प्रतियोगियों और हीमेश रेशमिया जैसे मेंटॉर का क्या कायाकल्प हुआ है कार्यक्रम के दौरान। किसी के बाल भूरे हो गये तो कोई टोपी लगाने लगा। गोविंदा की किसी फिल्म का डॉयलॉग याद आता है जिसमें वे सतीश कौशिक के किरदार को कहते हैं, “आप जब आये थे तो मुगले आज़म […]

संचार माध्यम और सामाजिक दायित्व

भारतीय टेलिविज़न परिदृश्य के सन्दर्भ में बात करें तो आप को दो स्पष्ट समूह मिलेंगे। एक ओर तो सरकारी टेलिविज़न दूरदर्शन है और दूसरी तरफ उपग्रह चैनलों का झुण्ड। दोनों की कार्यप्रणालियों में खासा अंतर है। दूरदर्शन पारंपरिक तौर से सत्तारूढ़ दल का सरकारी भोंपू बना रहा है। अगर इस बात को नज़रअंदाज़ कर सकें […]