जसà¥à¤Ÿ वाना हैव फ़न
परिवरà¥à¤¤à¤¨ का दौर है। नया आरà¥à¤¥à¤¿à¤• परिवेश है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शहरी मानस अब न तो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रहा, न ही अमरीकी। तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¤‚कू बना बीच में ही कहीं à¤à¥‚ल रहा है। “गरà¥à¤²à¥à¤¸ जसà¥à¤Ÿ वाना हैव फ़न“, टाईमà¥à¤¸ कह रहा है। “लड़कियाठà¤à¥€ अब कैजà¥à¤…ल सेकà¥à¤¸ से हिचकती नहीं। वन नाईट सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड जोर पकड़ रहे हैं।” पल à¤à¤° की मसà¥à¤¤à¥€ का साथ, कमिंटमेंट, गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿, डर का कोई सवाल ही नहीं। “मà¥à¤à¥‡ पता है कि बड़े मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤²à¤Ÿà¥€ मानेंगे पर हमउमà¥à¤° दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤à¤µà¤¹à¥€à¤¨ होना ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अनकूल माना जाता है”, मोहतरà¥à¤®à¤¾ का कहना है। यह बात आपको और मà¥à¤à¥‡ अखबारों से जानने की ज़रूरत नहीं है। सबला नारी की दासà¥à¤¤à¤¾à¤‚ हम हरसूं देख रहे हैं। बाईक पर चिपके जोड़े, आफिस कà¥à¤¯à¥à¤¬à¤¿à¤•लà¥à¤¸ में उफनते मनोवेग, आवेश इस कदर बॠरहा है कि जैसे कोई जलà¥à¤¦à¥€ हो, कल हो न हो। फिर सिटी रिपोरà¥à¤Ÿà¤° की चटखारेदार खबर आती है, “उसने मà¥à¤à¥‡ चार दफा अलग अलग जगहों पर रेप किया”। समठनहीं आता कि पहले “रेप” के बाद फिर लोनावला तक आप होशोहवास में कैसे पहà¥à¤à¤š गई “उसी” के साथ। कमिंटमेंट से बचना हो तो सेकà¥à¤¸ कितना आसान हो जाता है, “साथ बैठकैपेचीनो लेने जैसा”। इंडियन à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ कह रहा कि यà¥à¤µà¤¾ अब शादी के पहले काफी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ से काम लेते हैं, कई अब फेरे लेने के पहले à¤à¤¡à¥à¤¸ का टेसà¥à¤Ÿ करवाने पर ज़ोर देते हैं। हैरत होती है। डर है पर संयम नहीं, à¤à¤¹à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤ यहाठबरतना है पर वहाठनहीं। टाईमà¥à¤¸ नाओ पर परिचरà¥à¤šà¤¾ थी। टीवी पर सीरीयलों के à¤à¤• मशहूर अदाकर अपने बीवी की बेवफाई का रोना रो रहे थे। à¤à¤• महिला ने विवाहेतà¥à¤¤à¤° संबंधों का सहारा लिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पति का पसंदीदा संगीत कà¥à¤› और था।
मानता हूà¤, हर शहर के अपने परिवेश का अलहदा अंतर पड़ता है। पर मेरे हमउमà¥à¤° दोसà¥à¤¤ और मैं शायद यह सब सोच कर à¤à¥€ हैरान हो जाते होंगे। जीवनसाथी है जीवन à¤à¤° के लिये। à¤à¤¡à¤œà¤¸à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट करो या जैसा चल रहा है चलने दो। निà¤à¤¾à¤¨à¤¾ ही है। कोई विकलà¥à¤ª नहीं है। सेकà¥à¤¸à¥à¤…ल à¤à¤¡à¤µà¥‡à¥à¤šà¤° का पैमाना à¤à¥€ अलग रहा। मेरे à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मितà¥à¤° और मेरे विवाह की तिथि आसपास की थी। विवाह के कà¥à¤› माह पहले से हजरत टेंशन में आ गये, कà¥à¤¯à¤¾ “परफॉरà¥à¤®” कर पायेगें? à¤à¤• बार के नागपà¥à¤° पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान अचानक ही जाने कà¥à¤¯à¤¾ सूà¤à¥€, पूरà¥à¤µà¤¾à¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के लिये à¤à¤• “पà¥à¤°à¥‹” के पास हो आये। मैं उसे (अरे यार, “पà¥à¤°à¥‹ को नहीं मितà¥à¤° को) à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति जानता था। वो à¤à¤¸à¤¾ वैसा लड़का था ही नहीं, कोई वà¥à¤¯à¤¸à¤¨ नहीं। पर यह सब किया अपनी “à¤à¤¬à¥€à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€” और अपने पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ “इकà¥à¤µà¤¿à¤ªà¥à¤¡” होने बारे में आशà¥à¤µà¤¸à¤¤ होने के लिये। उसने मà¥à¤à¥‡ यह खà¥à¤¦ ही बताया। मैं हैरान था, कà¥à¤› बà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ लगा, पर बाद में समठआया।
यही उतà¥à¤•ंठा अब आम लगती है, लोग जबरन à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤²à¥‹à¤° करना चाहते हैं। सबला नारी तो आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¥à¤¯ से आहà¥à¤²à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ है ही, अब संबंधों को “निà¤à¤¾à¤¯à¥‡” जाने की मजबूरी नहीं। सब कà¥à¤› टीवी पर आ रहे आईसà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤® के उस विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ की तरह है, à¤à¤‚गिमाओं से लरज़ती à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का तà¥à¤°à¤¤ फà¥à¤°à¤¤ सॉलà¥à¤¶à¤¨, हामी गोया “डिफॉलà¥à¤Ÿ” हो गई है। कà¥à¤¯à¤¾ करें, परिवरà¥à¤¤à¤¨ का दौर है। पोप कहने की सोच रहे हैं कि संयम बरतो, काà¤à¤¡à¥‹à¤® इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करो, “पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक” संबंध बनाओ। तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¤‚कू शहरी मानस इन संदेशों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिये अà¤à¥€ टà¥à¤¯à¥‚नà¥à¤¡ नहीं।
वैशà¥à¤µà¥€à¤•रण के परिणाम-सà¥à¤µà¤°à¥‚प संकर होती संसà¥à¤•ृतियों का यह सहज परिणाम है। जहाठपशà¥à¤šà¤¿à¤® का असर यहाठनज़र आ रहा है, वहीं à¤à¤¾à¤°à¤¤ और चीन का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ अमेरिका और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ यूरोप की संसà¥à¤•ृतियों में साफ़ देखा जा सकता है।
jab sanskriti me thairav aa jata hai to usme vikritiya aa jati hai.bhartiya sanskriti ne aajadi ke baad tak badlav dekhe the…par doosre sanskrityon se judav ka naata kewal rajnitik sambandho ya vivad tak semit rah gaya tha.Globalisation ne dwar to khole par baazar ke…jiskesaath aaye vo vikritiyan jo apbhransh vyvhar se judi hoti hain.
देबू दा,
यहाठकà¥à¤› आपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ जिने के बचà¥à¤šà¥‡ अब 12-13 साल के हो चà¥à¤•े हैं आपके बताठवातावरण को देख कर पहोपोह में पड़े हैं। पैसा कमा लिया। यहाठरहने का कोई कारण नहीं। चाहते हैं कि बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वातावरण मिले (यानि वही जिसमें वे खà¥à¤¦ बढ़े हà¥à¤ हैं) पर यही सब पढ़ सà¥à¤¨ कर कहते हैं कि यहाठवहाठमें कà¥à¤› फरà¥à¤• तो रह नहीं गया अब कà¥à¤¯à¤¾ करें।
पंकज
बहà¥à¤¤ बढ़िया लेख लिखा ।बहà¥à¤¤ दिन बाद!
पूरà¥à¤µà¥€ और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ मà¥à¤²à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पाटों में पिसती पीढ़ी का सटीक चितà¥à¤°à¤£à¥¤ ऩारी होने के बावजूद मैं मानती हूठकि—अबला से सबला à¤à¤ˆ, सबला से बनी बला ।
‘जसà¥à¤Ÿ वाना हैव फ़न’ की संसà¥à¤•ृति लंपट यà¥à¤µà¤¾à¤“ं (विशेषकर उचà¥à¤š आय वरà¥à¤— और पबà¥à¤²à¤¿à¤• सà¥à¤•ूली पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि वाले) में वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से रही है. नई बात तो इस लंपटता में मधà¥à¤¯à¤®à¤µà¤°à¥à¤—ीय यà¥à¤µà¤¾à¤“ं की बढ़ी-चढ़ी à¤à¤¾à¤—ीदारी है.
जहाठतक पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों से तà¥à¤²à¤¨à¤¾ की बात है तो लीजिठमेरा ही à¤à¤• अनà¥à¤à¤µ- à¤à¤• पिछड़े à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ की राजधानी में à¤à¤• सलीकेदार दिखने वाले सैलून में घà¥à¤¸ गया, दाढ़ी बनवाने के लिà¤. दाढ़ी तो à¤à¤• लड़के ने बनाया, लेकिन बाद में आफ़à¥à¤Ÿà¤°à¤¶à¥‡à¤µ लोशन, चेहरे की मालिश वगैरह करने à¤à¤• यà¥à¤µà¤¤à¥€ को लगा दिया गया. वो मेरे चेहरे पर हाथ चलाते हà¥à¤ फà¥à¤¸à¤«à¥à¤¸à¤¾ कर आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर रही थी…या यों कहें की गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगा रही थी, कि ऊपर चलिठकà¥à¤› देर के लिठपूरे बदन की ‘फ़à¥à¤² मसाज’ कर दूà¤à¤—ी. बता नहीं सकता कि उससे पिंड छà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठमà¥à¤à¥‡ कितनी गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगानी पड़ी.
कई यूरोपीय शहरों में घूमा हूà¤, हजामत à¤à¥€ बनवाई है, लेकिन वैसी परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से कà¤à¥€ नहीं गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ा. पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों के बीच आमतौर पर हर तरह की चीज़ों और गतिविधियों के बीच à¤à¤• सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ विà¤à¤¾à¤œà¤• लकीर होती है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वो लकीर या तो रहती ही नहीं, और यदि रहती है तो न दिखने लायक असà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ लिठहà¥à¤.
पशà¥à¤šà¤¿à¤® की नकल में उतनी बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ नहीं. बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ फूहड़ और विकृत नकल में है.
टाईमà¥à¤¸ का लेख पड कर बà¥à¤°à¤¾ लगा। जहाठइन अखबारों को लड़कों को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ चाहिये वहाठये लोग लड़कियों को à¤à¥€ बिगाड़ रहे हैं 🙁
पर टाइमà¥à¤¸ ऑफ़ इनà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ अपने सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ कहाठसे करता है, यह à¤à¥€ सोचने वाली बात है। अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ का यह अखबार बाजार को देख कर खबरें छापता है। संसà¥à¤•ृति में आ रही विकृति से मैं à¤à¥€ सहमत हूà¤, पर इस समाचार पतà¥à¤° का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ है, à¤à¤¸à¥€ खबरों के पीछे? इस समाचार पतà¥à¤° में जरà¥à¤°à¥€ खबरें पिछले पनà¥à¤¨à¥‡ पर जगह पाती हैं और गà¥à¤²à¥ˆà¤®à¤° और मनोरंजन से जà¥à¥œà¥€ खबरें सामने होती हैं। मीडिया अपना उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¥‚ल गयी है, अगर कà¥à¤› गलत है तो उसे गलत बताकर ही पेश करना चहिà¤, न की उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤• खबरों के रूप में।
ये अखबार वाले à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ लोग हैं ? हर चीज को मजाक समà¤à¤¤à¥‡ हैं |
देबू à¤à¤¾à¤ˆ
à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• बार à¤à¤• महातà¥à¤®à¤¾ के पीछे पड़ गया कि मà¥à¤à¥‡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ का मà¤à¤¤à¥à¤° दे दो। महातà¥à¤®à¤¾ ने पिà¤à¤¡ छà¥à¥œà¤¾à¤¨à¥‡ को à¤à¤• कागज पर कà¥à¤› अगड़म बगड़म लिख के दे दिया और कहा कि जाओ, इसका जाप पाà¤à¤š दिन तक नहाने के बाद पाà¤à¤š बार करो। पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे कि मà¤à¤¤à¥à¤° जाप के समय बà¤à¤¦à¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न आये। आदमी बोल, यह तो बहà¥à¤¤ आसान है और बà¤à¤¦à¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹ आने लगा, अब तो मैं पाà¤à¤š दिन में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ बन जाऊà¤à¤—ा। पर बेचारा जब से घर पहà¥à¤à¤šà¤¾ बà¤à¤¦à¤° का खà¥à¤¯à¤¾à¤² पीछा न छोड़े, बीबी तक बà¤à¤¦à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दिखे, शीशे में खà¥à¤¦ को देखे तो बà¤à¤¦à¤° दिखे। लड़का पूछे कि कà¥à¤¯à¤¾ बड़बड़ा रहे हो तो उसे à¤à¥€ धà¥à¤¤à¥à¤•ारे कि हट बà¤à¤¦à¤° कहीं का। हाल यह कि तीसरे दिन ही वापस à¤à¤¾à¤—ा महातà¥à¤®à¤¾ के पास कि यह कà¥à¤¯à¤¾ दे दिया अब तो हर तरफ बà¤à¤¦à¤° ही नजर आते हैं। दरअसल बà¤à¤¦à¤° कही नही उसके दिल में ही था।
यही हाल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज का है, बरसों से सेकà¥à¤¸ को हौवà¥à¤µà¤¾ समठकर अलमारी में बà¤à¤¦ करकर रखा है। उसकी शिकà¥à¤·à¤¾ कà¤à¥€ नही दी गई। जो कà¥à¤› जाना गया वह मसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤® की ससà¥à¤¤à¥€ अधकचरी जानकारी से मिला। उसी का नतीजा है कि आज बà¥à¤¢à¥à¤¢à¥‡ à¤à¥€ तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ है और जवान à¤à¥€ । इस बारे में जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¤°à¤• जानकारी और चà¥à¤°à¤šà¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ ने इसे अब तक हौवà¥à¤µà¤¾ बना कर रखा है पर जिस तरह बचà¥à¤šà¤¾ जिस काम को मना करो उसी को कौतूहूलवश करना चाहता है कà¥à¤› वही सब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनमानस के साथ à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤ यह सेकà¥à¤¸à¤µà¤¿à¤¸à¥à¤«à¥‹à¤Ÿ उसी का नतीजा है।
à¤à¤• सहयातà¥à¤°à¥€ ने काà¤à¤Ÿà¤¾ लगा सरीखे à¤à¤²à¤¬à¤® की सफलता का सूतà¥à¤° बड़े सटीक शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बयाठकिया है “आज सफल वह होता है जो या तो मौलिक रूप से उतà¥à¤¤à¤® हो या फिर वह जो वरà¥à¤œà¤¨à¤¾ तोड़ सकें। चूà¤à¤•ि मौलिकता कम ही मिलती है इसलिये सब के सब सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ वरà¥à¤œà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ तोड़ने का शारà¥à¤Ÿà¤•ट अपना रहे हैं। लगता है जिस दरà¥à¤¶à¤¨ की ओर से हम सबने आà¤à¤–े मूà¤à¤¦ रखी है, कान ढाà¤à¤ª लिये हैं और मà¥à¤à¤¹ सिल लिया है गाà¤à¤§à¥€ के तीन आजà¥à¤žà¤¾à¤•ारी बà¤à¤¦à¤°à¥‹à¤‚ की तरह , उसे आà¤à¤–े खोल कर पà¥à¤¨à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ जरूरी है।
आपके लेख इतने जोरदार होते हैं कि टिपà¥à¤ªà¤£à¥€à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ लेख बन जाती हैं।
अतà¥à¤² जी आपकी टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ बहà¥à¤¤ ही उचà¥à¤š कोटि की है। आजकल शिकà¥à¤·à¤¾ जगत à¤à¤• तरह से संकà¥à¤°à¤®à¤£ काल से ग़à¥à¤œà¤° रहा है, वैशà¥à¤µà¥€à¤•रण के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ तो समाज में नज़र आने लगे हैं परंतॠशिकà¥à¤·à¤¾ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ अà¤à¥€ दिखायी देने में कà¥à¤› समय लग सकता है; जबकि पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में समय की मांग के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बदलाव और वृदà¥à¤§à¤¿ कर दी गयी है परंतॠइसका आउटपà¥à¤Ÿ आने में देर पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का ही हिसà¥à¤¸à¤¾ है।
इस बीच समाज के उचà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वरà¥à¤— की ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¥€ बॠजाती है कि वह रोल माडल बनकर मधà¥à¤¯à¤® और निमà¥à¤¨ वरà¥à¤— को राह दिखाà¤à¤‚।
टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये सà¤à¥€ पाठकों का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾!
हिनà¥à¤¦à¥€ बà¥à¤²à¥‰à¤—रः सौ टके खरी बात की आपने।
मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦, दीपक, अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤ƒ अखबार के लेख à¤à¤²à¥‡ नाटकीयता लिये हों, थोड़े अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥€ हों पर सरासर गलत होते हों यह नहीं मानता मैं। हैं तो समाज का अकà¥à¤¸ ही। जो हो रहा है बड़े शहरों में, उचà¥à¤š धनाढà¥à¤¯ वरà¥à¤—ों में वो तो, जैसा कि मैंने कहा कि, हमें केवल अखबारों से जानने की ज़रूरत तो नहीं।
अतà¥à¤²à¤ƒ बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ लिखा आपने, वाकई में टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ पूरी पोसà¥à¤Ÿ बनने के लायक है।
अतà¥à¤² à¤à¤¾à¤ˆ बढ़िया लिखा है
वाह à¤à¤ˆ, हम समà¤à¥‡ आपकी बगला अचà¥à¤›à¥€ होगी पर आपकी तो हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¥€ अनà¥à¤—रà¥à¤œà¥€ से अचà¥à¤›à¥€ निकली