डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर को एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि

डॉ. नार्लीकर केवल समीकरणों और ब्रह्मांडीय सिद्धांतों के वैज्ञानिक नहीं थे। वे उस पीढ़ी के प्रतीक थे, जिन्होंने विज्ञान को सामान्य जनमानस से जोड़ा।

बढ़ती आर्थिक असमानता: भारत के विकास मॉडल पर सवालिया निशान

भारत में अर्थव्यवस्था का स्वरूप जिस तेजी से बदल रहा है, उसमें अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है।

कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति लोगों का विरोध दरअसल एक नई क्रांति की दस्तक है, जहाँ चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला सीखनी होगी।

क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?

शुरुआती EV के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।

कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।