बढ़ती आर्थिक असमानता: भारत के विकास मॉडल पर सवालिया निशान
बीसी की इस हालिया रपट को पढ़ कर काफी चिंता हुई। इसके मुताबिक संरचनात्मक असमानता और तकनीकी बदलाव भारत के उपभोक्ता बाजार और आर्थिक प्रक्षेपवक्र को नया आकार दे रहे हैं।
- भारत की 140 करोड़ आबादी में से लगभग 70% यानि तकरीबन 100 करोड़ के पास विवेकाधीन खर्च करने की शक्ति नहीं है। “उपभोक्ता वर्ग” या महत्वपूर्ण क्रय क्षमता वाले लोगों की संख्या लगभग 13-14 करोड़ है।
- भारत के धनवान लोग और अधिक अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब अपनी क्रय शक्ति खो रहे हैं। शीर्ष 10% भारतीयों के पास अब राष्ट्रीय आय का 57.7% हिस्सा है, जो 1990 में 34% था, जबकि निचले आधे हिस्से का हिस्सा 22.2% से घटकर 15% हो गया है।
- कंपनियाँ प्रीमियम उत्पादों, जैसे कि लक्जरी आवास और हाई-एंड स्मार्टफोन पर ध्यान केंद्रित करके तेजी से अमीरों को लक्षित कर रही हैं, जबकि किफायती विकल्प संघर्ष कर रहे हैं। ब्रांडेड सामान और “अनुभव अर्थव्यवस्था”, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के संगीत कार्यक्रम शामिल हैं, फल-फूल रहे हैं।
- कोविड महामारी के बाद भारत की रिकवरी असमान रही है, जिसमें अमीरों को अनुपातहीन रूप से लाभ हुआ है। वित्तीय बचत में भारी गिरावट आई है, और आम जनता के बीच कर्ज का बोझ बढ़ गया है।
- घरेलू वित्तीय बचत 50 साल के निचले स्तर पर है, जिसका असर मध्यम वर्ग के सामान और सेवाओं पर खर्च पर पड़ रहा है।
- स्वचालन और एआई व्हाइट-कॉलर जॉब के अवसरों को कम कर रहे हैं, खासकर नियमित लिपिक भूमिकाओं में। यह भारत की सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम पैदा करता है और खपत को और कम कर सकता है।
इससे लगता है कि भारत में अर्थव्यवस्था का स्वरूप जिस तेजी से बदल रहा है, उसमें अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। यह स्थिति केवल आर्थिक विकास को ही नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और राजनीतिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती है। भारत के सामने अब यह चुनौती है कि वह अपनी विकास नीतियों में ऐसे बदलाव लाए, जो समावेशी विकास को बढ़ावा दें और अधिक से अधिक नागरिकों को आर्थिक विकास का लाभ पहुंचा सकें। इसके लिए कौशल विकास, छोटे और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन, और गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन पर जोर देना होगा। केवल तभी भारत एक सच्चे अर्थों में आर्थिक महाशक्ति बन सकेगा, जहां विकास न केवल आंकड़ों में, बल्कि हर नागरिक के जीवन स्तर में भी परिलक्षित हो।
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