‘निरंतर’ हिंदी चिटà¥à¤ ाकारों के सरोकार की आवाज़: ईसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€
निरंतर काउंटडाउन à¤à¤¾à¤— 4
निरंतर को इसके पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठसे ही लेखन और पà¥à¤°à¤•ाशन की à¤à¤•ाधिक विधाओं की वरà¥à¤£à¤¸à¤‚करी (हाईबà¥à¤°à¥€à¤¡) के रूप मे देखता रहा हूà¤à¥¤
इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर होते हà¥à¤ à¤à¥€ माह में à¤à¤• ही बार ‘टपकती’ निरंतर इलेकà¥à¤Ÿà¥‰à¤¨à¤¿à¤• माधà¥à¤¯à¤® वाली दà¥à¤°à¥à¤¤ अविरलता से नहीं बहती। वहीं हर अंक के पà¥à¤°à¤•ाशन से ही दà¥à¤µà¥€à¤¦à¤¿à¤¶à¥€ संवाद के संवेग पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हो उठते। पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा के लेख पढ कर उन पर टिपियाने का सà¥à¤– जैसे किसी चिटà¥à¤ े पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हों, मिलने लगता। निरंतर के अनिरंतर होने से यह आननà¥à¤¦ अवरà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† था।
हर माह निरंतर के पà¥à¤°à¤•ाशन का इंतज़ार रहता था और हर अंक के पà¥à¤°à¤•ाशित होते ही पूरी सामगà¥à¤°à¥€ पढ डालता था। सामगà¥à¤°à¥€ की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ रही है। पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होती थी देख कर की समूह मे कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• संपादक, पà¥à¤°à¤•ाशक या लेखक नहीं है लेकिन इनका पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• यतà¥à¤¨ से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾ कर सकता है। निरंतर में लेख और सà¥à¤¤à¤‚ठवà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से लेकर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मौलिकता तक का फ़ैलाव आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करते हैं।
इस अनूठी परियोजना से जà¥à¤¡à¥‡ सà¤à¥€ चिटà¥à¤ ाकारों को मैं वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से जानता हूठऔर उन के साथ अलग अलग परियोजनाओं में जà¥à¤¡à¤¾ à¤à¥€ रहा हूं। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से निरंतर समूह में अपने आपको पा कर कà¥à¤› आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नही होता, पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ आवशà¥à¤¯ होती है।
यह बहà¥à¤†à¤¯à¤¾à¤®à¥€ संरूपण अनूठा है, इतना अनूठा की इसके लिठशायद “जालचिटà¥à¤ ापतà¥à¤°à¤¿à¤•ा” जैसा कोई नया नाम गà¥à¤¨à¤¾ पड़े, और मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥€ है। निरंतर हिंदी चिटà¥à¤ ाकारों का सबसे गंà¤à¥€à¤° मंच बनी और हमारे सरोकार की आवाज़ à¤à¥€, मà¥à¤à¥‡ पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है आगे à¤à¥€ रहेगी और सतत बहेगी। इसको बेहतर बनाते जाना ही धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ है। पतà¥à¤°à¤¿à¤•ा का मासिक या दà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¾à¤¸à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•ाशन चाहे इसे इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर धीमा सिदà¥à¤§ करे लेकिन इसके लेख दीरà¥à¤˜à¤•ालिक मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ से गंà¤à¥€à¤° जà¥à¤¡à¤¾à¤µ की वजह से अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता में कà¤à¥€ à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ बासी नही होते – पà¥à¤¨:पठनीय बने रहते हैं ये जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•ारक सतà¥à¤¯ है, संà¤à¤µà¤¤: गरà¥à¤µ की बात à¤à¥€ हो।
अदमà¥à¤¯ चिटà¥à¤ ाकार ईसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ निरंतर की कोर टीम के नये सदसà¥à¤¯ हैं।


1.निरंतर के अनिरंतर ।
2.अदमà¥à¤¯ चिटà¥à¤ ाकार ईसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ निरंतर की कोर टीम के नये सदसà¥à¤¯ हैं।
3.निरंतर हिंदी चिटà¥à¤ ाकारों का सबसे गंà¤à¥€à¤° मंच बनी और हमारे सरोकार की आवाज़ à¤à¥€, मà¥à¤à¥‡ पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है आगे à¤à¥€ रहेगी और सतत बहेगी।
को निंदक नियर राखिये के साथ मिलाकर बांच रहा हूं तो मà¥à¤¸à¥à¤•राने का मन कर रहा है।