‘निरंतर’ हिंदी चिट्ठाकारों के सरोकार की आवाज़: ईस्वामी

निरंतर काउंटडाउन भाग 4 निरंतर को इसके प्रारंभ से ही लेखन और प्रकाशन की एकाधिक विधाओं की वर्णसंकरी (हाईब्रीड) के रूप मे देखता रहा हूँ। इन्टरनेट पर होते हुए भी माह में एक ही बार ‘टपकती’ निरंतर इलेक्टॉनिक माध्यम वाली द्रुत अविरलता से नहीं बहती। वहीं हर अंक के प्रकाशन से ही द्वीदिशी संवाद के […]

पूछिए फुरसत से, फुरसतिया से

निरंतर काउंटडाउन भाग ३ नामचीन हिंदी अखबार देशबंधु में मंझे साहित्यकार और चिंतक हरिशंकर परसाई का एक कॉलम छपता था “पूछिए परसाई से” जिसमें वे पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते थे। तमाम किस्म के प्रश्न, राजनीति, इतिहास, समकालीन परिदृश्य, साहित्य पर जिनमें कुछ चुटीले सवाल भी शामिल होते थे। निरंतर के पहले अवतार में […]

विज़डम आफ क्राउड्स महज़ किताबी बात नही

निरंतर काउंटडाउन भाग 2 बिल्कुल यही वजह है कि निरंतर, सिर्फ एक मैगैज़ीन नहीं, ब्लॉगज़ीन है। निरंतर के लेखों में सिर्फ संपादक मंडल की ही नही, इसके लेखकों की ही नही वरन् आपकी राय भी सम्मिलित होनी चाहिए। इसी कड़ी में निरंतर के अगस्त अंक में प्रारंभ किया जा रहा है एक नया स्तंभ “जनमंच“। […]

एक और प्रथमः इंटरैक्टिव कहानी

निरंतर काउंटडाउन भाग १ निरंतर एक अभिनव प्रयोग रहा है। यह पहली ऐसी पत्रिका है जो न केवल गैरपेशेवर प्रकाशकों द्वारा निकाली जाती है बल्कि पाठकों को प्रकाशित लेखों पर त्वरित टिप्पणी करने का मौका भी देती है। इस तरह ये सिर्फ ज़ीन नहीं, विश्व की प्रथम ब्लॉगज़ीन बन सकी। किसी भी प्रकाशन में पाठकों […]