à¥à¥« लाख पाठक हैं à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की साईटà¥à¤¸ के
हालिया इंडिया आनलाईन सरà¥à¤µà¥‡ २००६ बà¥à¤²à¥‰à¤—जगत के लिये उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ à¤à¤°à¥‡ निषà¥à¤•रà¥à¤· ले कर आई है। इस सरà¥à¤µà¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ में तकरीबन २.१ करोड़ इंटरनेट पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ हैं और इनमें से ८५ फीसदी, यानि लगà¤à¤— १.८ करोड़ बà¥à¤²à¥‰à¤— पà¥à¤¤à¥‡ हैं, जिनमें à¤à¤¸à¥‡ लोग à¤à¥€ है जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग नहीं करते। आंकड़ें अविशà¥à¤µà¤¨à¥€à¤¯ लगते हैं पर अगर देखा जाय कि इंटरनेट पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ में विगत वरà¥à¤· की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में २२ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ है तो बात उतनी अचरज à¤à¤°à¥€ शायद न लगे। दिलà¥à¤²à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जकà¥à¤¸à¤Ÿ कंसलà¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये इस सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में कहा गया कि अधिकांश नेट पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ शहरी हैं और ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° बà¥à¤²à¥‰à¤— तकनीकी सूà¤à¤¬à¥‚ठरखने वाले लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही बनाये जाते हैं। आपको याद होगा कि हाल ही में इकॉनॉमिक टाईमà¥à¤¸ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिटà¥à¤ ों की कà¥à¤² संखà¥à¤¯à¤¾ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगà¤à¤— ४०००० लगाया था (और यह मेरे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के आसपास ही है)। ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खà¥à¤¶à¥€ की बात यह है कि सरà¥à¤µà¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के बà¥à¤²à¥‰à¤— की साईटà¥à¤¸ लगà¤à¤— à¥à¥« लाख लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¥€à¤‚ जाती है। तो इस पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को पॠरहे जिन पाठकों ने अà¤à¥€ तक चिटà¥à¤ ाकारी शà¥à¤°à¥ नहीं की है उनके लिये अपना हिनà¥à¤¦à¥€ चिटà¥à¤ ा शà¥à¤°à¥ करने का अब à¤à¤• और ठोस कारण है।


दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की समसà¥à¤¤ आबादी को अब दो शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤—ीकृत किया जा सकता है, à¤à¤• वह जो इंटरनेट से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है और दूसरा वह जो इंटरनेट से नहीं जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। इन दोनों शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बीच का अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ बहà¥à¤¤ तेजी से बदल रहा है और इंटरनेट से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ लोगों की तादाद लगातार तेज गति से बढ़ती जा रही है। à¤à¥Œà¤—ोलिक दूरियों और राजनीतिक सीमाओं को बेमानी करता हà¥à¤† यह इंटरनेट पहली बार वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बकमॠकी अवधारणा को पहली बार सही मायने में साकार करता दिख रहा है। इंटरनेट पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ अब अपनी पहचान अलग-अलग देशों के नागरिकों (सिटीजनà¥à¤¸) के बजाय विशà¥à¤µ तंतà¥à¤° के नागरिक (नेटीजनà¥à¤¸) के रूप में देखते हैं। बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग उनके बीच संवाद और सहयोग का अतà¥à¤¯à¤‚त सहज, ततà¥à¤•à¥à¤·à¤£ और अनौपचारिक माधà¥à¤¯à¤® बनकर उà¤à¤°à¤¾ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में चिटà¥à¤ ों की तेजी से बढ़ती संखà¥à¤¯à¤¾ और उनका लगातार फैलता जा रहा पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ पाठक वरà¥à¤— दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में बसे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को बंधà¥à¤¤à¥à¤µ और मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के अटूट सूतà¥à¤° में जोड़ रहा है और इसी के आधार पर हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ को à¤à¤• विकसित राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के रूप में परिणत करने के अपने सपने को साकार कर सकेंगे।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के बà¥à¤²à¥‰à¤— लगà¤à¤— à¥à¥« लाख लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¥‡ जाते हैं
लिखा है कि 75 लाख à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के सà¥à¤¥à¤² पढ़ते हैं, चिटà¥à¤ े नहीं। पर यह अलग बात है।
तो सवाल यह है कि यह 75 लाख लोग कà¥à¤¯à¤¾ केवल पढ़ना जानते हैं, लिखना नहीं? कटाकà¥à¤· नहीं कर रहा हूà¤, समà¤à¤¿à¤ 1% लोग à¤à¥€ लिखें, तो कà¥à¤² 75000 जालसà¥à¤¥à¤² तो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में होने चाहिà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ लगता है कि लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के अखबार पढ़ रहे हैं, चिटà¥à¤ े नहीं।
मà¥à¤à¥‡ आलोक की बात सही लग रही है| अà¤à¥€ à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ से à¤à¤¸à¥‡ लोग मिलते हैं जो बà¥à¤²à¤¾à¤—/चिटà¥à¤ ा का नाम सà¥à¤¨à¤•र चौंक जाते हैà¤|
आलोक, अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤ƒ हम इन आंकड़ों को गलत माने या सही, अगर यह वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरीके से किया गया सरà¥à¤µà¥‡ है तो पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ बेसिरपैर का नतीजा à¤à¥€ नहीं बतालायेगा। हमारे हिट काउंटर à¤à¥€ फिलहाल इतनी आवाजाही नहीं बताते पर सही बात तो यह है की हमारे अंदाज़े का सैमà¥à¤ªà¤² शायद इनके सैमà¥à¤ªà¤² से कहीं छोटा है।