परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼à¥à¤¡ जà¥à¤—ाड़
आप जानते होंगे कि गूगल के परंपरागत गृहपृषà¥à¤ को आप परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼ यानी अपनी पसंद के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• ढाल सकते हैं। पहले तो खबरों की फीड, आज का शबà¥à¤¦ जैसे मॉडà¥à¤¯à¥‚ल ही उपलबà¥à¤§ कराये गये थे पर अब आप गूगल की निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤•ा से सेंकड़ों à¤à¤¸à¥‡ मॉडà¥à¤¯à¥‚लà¥à¤¸ में से अपना मनपसंद चà¥à¤¨ सकते हैं और उसे अपने परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼à¥à¤¡ पृषà¥à¤ पर डाल सकते हैं। ये माडà¥à¤¯à¥‚ल दरअसल केवल कà¥à¤·à¤®à¤² फाइलें हैं जो विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से मसौदा लाकर दिखा सकती हैं, तो ज़ाहिर तौर पर आप à¤à¤Ÿà¤® या आरà¤à¤¸à¤à¤¸ फीड का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर सकते हैं।
हिनà¥à¤¦à¥€ चिटà¥à¤ ाकारों की सूची बà¥à¤²à¥‰à¤—रोल की तईं दिखलाने का à¤à¤• जà¥à¤—ाड़ मैंने पहले बनाया था जो शायद आप पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ कर रहे हों, अब इसी का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² मैंने à¤à¤• मॉडà¥à¤¯à¥‚ल बनाने के लिये किया जिससे आप दिखाये गये चितà¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपने गूगल परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤ˆà¤œà¤¼à¥à¤¡ पृषà¥à¤ पर डाल सकते हैं। बस गूगल के खाते में लॉगिन करें और नीचे दिया बटन दबायें ये खà¥à¤¦ ब खà¥à¤¦ आपके पृषà¥à¤ पर हाज़िर हो जायेगा, आप फिर इसे यथासà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रख सकते हैं। है न काम का जà¥à¤—ाड़?

तà¥à¤¸à¥à¤¸à¥€ गà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ हो पा जी!
मजा आ गया।
“माय याहू” इसकी (गूगल परà¥à¤¸à¤¨à¤²à¤¾à¤‡à¤œà¥à¤¡à¥) तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कैसा है ? मैं तो इसी से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ हूठ|
जीतूः आपकी तारीफ का हमेशा इंतज़ार रहता है, शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ फिर।
अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤ƒ माई याहू का मेरा पृषà¥à¤ मैं खास पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करता। अचà¥à¤›à¤¾ तो वह à¤à¥€ है, तमाम फीडà¥à¤¸ सबà¥à¤¸à¤•à¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¬ कर सकते हैं पर गूगल मॉडà¥à¤¯à¥‚लà¥à¤¸ के खासियत यह कि मेरे जैसा कोई बंदा à¤à¥€ आसानी से बना कर जाल पर डाल सकता है। गूगल याहू की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ तो खैर सतत चरà¥à¤šà¤¾ का विषय है ही, पर मेरे खà¥à¤¯à¤¾à¤² से दोनों की अपनी खास बात है।
सही जà¥à¤—ाड़ है!!
मैं तो कोई निजिकृत गृहपृषà¥à¤ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करता ही नहीं, इसलिठअपने किसी काम का नहीं है!! 🙂
अमित: जà¥à¤—ाड़ तो जà¥à¤—ाड़ है, जिसके काम का होगा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर लेगा। इसके लिये कोई तà¥à¤®à¤¸à¥‡ चंदा उगाह रहा है कà¥à¤¯à¤¾? बà¥à¤°à¤¾ न लगे तो इतना ज़रूर कहूंगा कि मà¥à¤à¤¹à¤«à¤Ÿ होना हमेशा गà¥à¤£ नहीं कहलाता।
अरे देबू दा, आप तो बेकार में नाराज़ हो रहे हो। मैंने तो बस यही कहा कि सही जà¥à¤—ाड़ होते हà¥à¤ à¤à¥€ यह अपने काम की चीज़ नहीं है, बस। इसमें नाराज़ होने वाली कà¥à¤¯à¤¾ बात आ गई? यदि आपको बà¥à¤°à¤¾ लगा तो कà¥à¤·à¤®à¤¾ करना, मेरा कोई गलत मतलब नहीं था और न ही मैं मà¥à¤à¤¹à¥žà¤Ÿ बन रहा था। 🙂