बाहुबली बनने चले बुद्धिजीवी
सागरिका घोष मानती हैं कि भाजपा के मन में यह पेच रहा है कि वह बुद्धिजीवियों, कलाकारों और इतिहासकारों का दिल नहीं जीत पाई। सर विदिया को मंच पर ला कर वे इस बात को झुटलाना चाहते हैं। कैसी विडंबना है कि जिस जमात के विचारों को छद्म धर्मनिरपेक्षतावाद या वामपंथी विचारधारा बता कर खारिज कर देते थे अब उन्हीं का साथ पा कर सम्मानित बनने की सोची जा रही है।
मैं ये मानता हूँ कि भाजपा ने बीते बरसों बड़े सलीकेवार तरीके से अपना जनाधार बनाया है। और बुद्धिजीवियों को अपने खेमे में लाने की कोशिश भी इसी दूरगामी रणनीति का हिस्सा है। राजनीतिक चूहों के हालिया पलायन के रुख से दिख भी रहा है कि अब भाजपा किसी के भी लिए अछूत नहीं रही। भाजपा के योजनाबद्ध तरीके के अब तक के परिणामों का विश्लेषण करें तो इस रणनीति का फल भी उन्हें इच्छानुसार मिला है। शिवसेना, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, स्वयं सेवक संघ जैसे बाहुबलीय संगठनों का साथ है। केवल पैसा कमाने के लिए सत्ता चाहने वाले घटक दलों का समर्थन हासिल है। वाजपेयी जैसा श्रेष्ठ मुखौटा नेता पास है जिसको आगे कर गीदड़ को भेड़ बताया जा सके। और ऐसे कार्यकर्त्ता हैं जो नेपथ्य में पार्टी की असल विचारधारा के अनुसार एजेंडे को अमलीजामा पहना रहे हैं (मेरा यह चिट्ठा भी पढ़ें) इतिहास के पुर्नलेखन से लेकर तालिबानी हिन्दू संगठनों के हाथ मजबूत करने तक। अपने महान नेताओं के महिमामंडन से लेकर सांस्कृतिक पुलिसिया भुमिका निभाने तक। यानि जो असल एजेंडा था वो तो पूरा हो ही रहा है।
इतिहास से छेड़छाड़ तो एक आपत्तिजनक मुद्दा है ही मुझे सबसे अधिक खतरा बाहुबलीय संगठनों से ही लगता है। आहिस्ता आहिस्ता ये हमारे सामाजिक व्यवहार को ही प्रभावित कर रहें हैं। बरसो से बहुजातिय समुहों में हम रहते आए हैं। कभी कभार अनबन हो ही जाती है। पर हमेशा दंगे तो नही पनप जाते। अब तो साहब माजरा ये ही रहता है, छुटभैये नेता छोटे मोटी तकरारों को सांप्रदायिक झगड़े के दावानल में झोंकने में पल भर भी नहीं सकुचाते। कल की ही बात है, मेरे शहर के एक हिस्से में एक बालिग सिन्धी युवती इलाके के ही एक मुसलमान युवक के साथ पलायन कर गयी। अखबार कहतें हैं पूरी रज़ामंदी थी। लड़की के परिजन बौखला गये, आप सोचेंगे उन्होने पुलिस की शरण ली, जी नहीं, वे गए बजरंग दल के पास। बस जंगल की आग की तरह खबर फैली। भाजपा विधायकों की उपस्थिती में, शासकीय बुलडोज़र से लैस होकर, बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी के पहलवान कार्यकर्त्ताओं नें इस युवक की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया, घर की तलाशी करवाई। इस से पनपे तनाव से दोनों समुदायों में नारेबाजी और पथराव भी हुआ, बस आग फैली नहीं गनीमत है। कैसा फील गुड है ये?