ब्लॉगकैंपभारत की कथित ब्लॉग राजधानी में काफी हलचल है, जी नहीं राजनैतिक सरगर्मी नहीं, भारत के सबसे बड़े अनकाँफ्रेस के रूप में प्रचारित पहले ब्लॉगकैंप का ज़िक्र कर रहा हूँ। यह दो दिवसीय विहंगम आयोजन, जिसमें सुलेखा की खासी भादीगारी है, चैन्नई में इस सप्ताहांत हो रहा है, अनेकानेक लोगों की भागीदारी है और विविध विषयों पर सत्र आयोजित हैं। दुःख की बात यह है कि आधिकारिक विकी या जालस्थल पर कोई अपडेट नहीं हैं और जानकारी का माध्यम बस सीधी रपट लिख रहे चिट्ठाकार ही हैं। समारोह का सीधा प्रसारण भी हो रहा है पर माध्यम धीमा है और आवाज़ लगभग अश्रवणीय।

साथी हिन्दी चिट्ठाकार राजेश भी समारोह स्थल पर जमे थे कल, बात हुई तो पता चला की जिस स्थान से तमिल के चिट्ठाकारों की रिकार्डतोड़ चिट्ठाकारी होती है वहाँ पर हिन्दी में ब्लॉगिंग होती है यह अभी लोगों को पता नहीं है। पता नहीं कि लोग जाल पर रहते हुये भी कैसे अनभिज्ञ हैं की हिन्दी ही नहीं अनेक भारतीय भाषाओं में लगातार ब्लॉगिंग हो रही है। राजेश ने तय किया कि समय मिला तो एक सत्र में वे जागरूकता बढ़ायेंगे लोगों कि पर कल के असमंजस भरे दिन में उन्हें समय नहीं मिल पाया।

पहले दिन के सत्रों का रुख, जैसा कि रपटों से पता चलता है, ब्लॉग के पाठक और लोकप्रियता बढ़ाने, एसईओ और कमाई के ज़रियों पर हुआ। ज़ाहिर है कि पेशेवर ब्लॉगर अमित का भी सत्र था। इसके अलावा बात हुई वर्डप्रेस, एजैक्स, मोब्लॉगिंग और ब्लॉगर बीटा की। उल्लेखनीय सत्र था भारत में बसे पत्रकार स्कॉट का, जिन्होंने एक आँख वाली एक बालिका के एक मामले का हवाला देते हुये ब्लॉग का उपयोग समाज में व्याप्त ऐसी समस्याओं की और आकृष्ट करने के लिये करने का आह्वान किया जिस पर मुख्यधारा का मीडिया ध्यान नहीं देता। कल आजतक पर देखी बिना ड्राइवर की कार की सनकभरी रपट याद आती है तो लगता है की वाकई मुख्यधारा का मीडिया किस दिशा की ओर जा रहा है।

यह भी पता चला कि नेटकोर के वीर ने भी कल एक सत्र लिया, ज्ञात हुआ कि मौका था ब्लॉगस्ट्रीट के नये रूप में आगाज़। अब शायद यह मुख्यतः भारतीय भाषाओं पर केंद्रित होगा। अभी नया जालस्थल मैंने आजमाया नहीं, पर पुरानी खामियों जैसे युनीकोड समर्थन न होना और एक लेखक द्वारा एक से ज़्यादा ब्लॉग क्लेम न कर पाना शायद अब न रहें।

आज के सत्र काफी रोचक होने की संभावना है। सनी गावस्कर का पॉडकास्टिंग पर सत्र शायद संपन्न हो चुका होगा और चर्चा है कि राबर्ट स्कॉबल का सीधा वीडियोकास्ट भी होगा।

ब्लॉगकैम्प भारतीय चिट्ठाकारी के बारे में लोगों को बताने का एक सशक्त मंच बनेगा यह तो तय है। आशा है कि भविष्य के आयोजनों में अन्य नगरों को भी आतिथ्य मौका मिलेगा।

पुनश्चः ब्लॉगकैंप असम्मेलन में विज़िटिंग कार्ड्स की जगह आदान प्रदान हुआ यूआरएल्स का, कहना है राजेश का जिन्होंने समारोह स्थल से नये चित्र और पहले दिन की कार्यवाही पर एक आडियो रपट पोस्ट की है। ज़रूर सुनें!