विकीपीडिया: वेंडेलिस्म पर लानत
विकीपिडिया एक विशाल मानव निर्मित ज्ञानकोश है, हालांकि हिन्दी विकीपीडिया अभी तुलनात्मक रूप से काफी छोटा है। जब मितुल ने निरंतर के अगस्त अंक में विकीपीडिया पर लेख लिखा तो मेरे मन में यह प्रश्न ज़रूर था कि वेंडेलिस्म यानि विकिपीडिया के पृष्ठों पर सामग्री या तथ्यों को नष्ट या बिगाड़ देने के कार्य पर आखिर किस हद तक काबू पाया जा सकता है भला। अगर अकिस्मत न होता न जाने मेरे कितने ही पुरानी ब्लॉग प्रविष्टियों पर वियाग्रा बिक रही होती। विकीपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स जब भारत प्रवास पर आये थे तो मैंने ईमेल पर उनसे कुछ सवाल किये थे। यह संक्षिप्त साक्षात्कार हम इस अंक के प्रकाशन के समय नहीं जोड़ पाये थे और इसे बाद में जोड़ा गया (आनलाईन प्रकाशन के कितने फायदे हैं, नई?)
वेंडेलिस्म के सवाल पर जिमी ने बड़ी बेफ़िक्री से कहा था, “वेंडेलिस्म कुल मिलाकर एक छोटी सी समस्या है और खास महत्वपूर्ण नहीं।” सच कहूं तो मुझे उनकी बात से इत्तफ़ाक नहीं था, आखिरकार 1.4 मिलियन पृष्ठ हैं विकीपिडिया पर। पर हाल ही में एक प्रोफेसर ने इस बात की पुष्टि की कि विकीपिडिया पर गलत तथ्यों का टिक पाना काफी मुश्किल है। एलेक्ज़ैंडर हेलेवाईस नामक इस प्राध्यापक ने जानबूझकर विकीपिडिया के कुछ पृष्ठों में मामूली फेरदबल किये जैसे कि यह लिखा कि एक डिज़्नी की फिल्म द रेस्क्यूअर्स डाउनअंडर को फिल्म संपादन के लिये आस्कर मिला था (जबकि फिल्म को आस्कर नहीं मिला था)। उनका अनुमान था कि यह त्रुटियाँ सालों यूं ही पड़ी रहेंगी, पर विकीपिडिया के स्वयंसेवकों ने तीन घंटों के भीतर ने केवल सारी गलतियों को सुधार दिया वरन् एलेक्ज़ैंडर को चेतावनी भी दे दी।
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एक अच्छा आलेख लिख कर महत्वपुर्ण कार्य किया है. इससे विकि पर लेख डालने के लिए प्रेरणा मिलेगी.
आपकी बात से इतिफाक रखता हूँ शुरुआत में मुझे भी लगता था कि विकिपीडिया के लेखों को कोई नष्ट कर दे तो, लेकिन धीरे धीरे जब विकी की कार्यप्रणाली समझता गया तो यह भ्रम हट गया।
विकीपेडिया पर लेख लिख कर जागरुकता बढाने के लिये धन्यवाद.एक अध्ययन के अनुसार विकी पर लेखो की प्रामाणिकता लगभग उतनी ही है जितनी ब्रिटानिका इनसाईक्लोपीडिया पर. अधिकांश लेख किसी ना किसी स्वयंसेवक की ध्यानसूची में रहते हैं, जिनमें किसी भी बदलाव की सूचना उनको मिलती रहती है. इस तरह से हर परिवर्तन पर समूह की नज़र बनी रहती है.
हिन्दी विकी पर प्रगति काफी धीमी है, अगर चि़ट्ठाकार लोग कुछ-कुछ योगदान देते रहें तो अच्छा होगा.