इस चिट्ठे के नियमित पाठक रेडियो जॉकी बनने की मेरी छुपी अभिलाषा के बारे में पढ़ चुके होंगे, और यह भी कि कैसे मैं अवसर मिलने पर भी यह पूर्ण न कर सका। पर हाल के दिनों में दो ऐसे अवसर मिले जब मुझे श्रव्य माध्यमों पर बोलने का मौका मिला। पहला मौका था रेडियो पर सीधे प्रसारित एक कार्यक्रम में शुमारी का। गीत संगीत में पिरोये इस कार्यक्रम को वर्जीनिया, अमेरिका साथी चिट्ठाकार अनुराग मिश्र WUVT 90.7 FM पर भारतीय श्रोताओं के लिये सप्ताहांत में प्रस्तुत करते हैं। मेरे साथ थे धुरंधर चिट्ठाकार अनूप शु्क्ला और ईस्वामी। तरुण और सृजन शिल्पी भी शामिल होने वाले थे पर दुर्भाग्यवश हो न पाये। अगर आप ने अब तक न सुना हो तो हिन्दी तथा भारतीय भाषा में चिट्ठाकारी पर हुई इस चर्चा के कुछ अंश तरुण के ब्लॉग पर सुन सकते हैं।

इंडीकास्ट एक लोकप्रिय पॉडकास्ट है और भारत के गिनेचुने पॉडकास्ट में से एक है। हाल ही में इस पॉडकास्ट में मुझे शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, मौका था इंडीब्लॉगीज़ में संप्रति जारी नामांकन प्रक्रिया के बारे में सूचना देने का। मुंबई स्थित आदित्य और अभिषेक की जोड़ी बेहद हल्के फुल्की बातचीत के लहज़े में यह शो प्रस्तुत करते हैं, इनका काम सराहा भी गया है। बड़े दोस्ताना माहौल में मज़ेदार बातचीत रही और आप इस बातचीत को इंडीकास्ट की 42वीं कड़ी में सुन सकते हैं, यहाँ पर। आदित्य ने बताया कि वे इस पॉडकास्ट पर पूर्णकालिक रूप से काम करने की योजना बना रहे हैं और इसी अंक से वे शो में प्रायोजकों की भागीदारी की भी शुरुवात कर रहे हैं।

इधर घरेलू मैदान पर भी शशि सिंह और जीतेंद्र की टीम कुछ खिचड़ी पका रही है ब्लॉगनाद को पुनः शुरु करने के लिये। फिलहाल योजना पर काम चल रहा है पर आप ही की तरह मीठे फल का इंतज़ार मुझे भी है।