ख़त्म हुये फितूर?
पिछले कई दिनों से कई किस्म के फितूर सवार रहे हैं और अब थोड़ी राहत मिली कि इनमें से कुछ फलीभूत भी हुये हैं।
पहला फितूर तो पॉडकास्टिंग का ही था, चलो रेडियो न सही यहीं हाथ आजमा लिया जाय ये सोच कर शशि के साथ पिछले पखवाड़े पॉडभारती हिन्दी पॉडज़ीन की शुरुवात की गई। पहले अंक के बारे में शशि लिख चुके हैं और हमें श्रोताओं की प्रतिक्रिया व डाउनलोड्स भी अपेक्षा से अधिक मिले। यदि आप ने ये पॉडकास्ट न सुना हो तो आज ही सुनें। जान कर अच्छा तो लगता ही है कि प्रयास सराहा गया। और भी अच्छा लगेगा अगर समूह के और भी लोग इसमें योगदान दें और इस पॉडकास्ट शो को शक्ति प्रदान करें। अपडेटः मदर्स डे पर पॉडभारती के विशेषांक में शशि की प्रस्तुति ज़रूर सुनें।
आपने ध्यान दिया ही होगा कि हमारा प्रयास एपीसोड को एक पॉडज़ीन की तरह पेश करने का रहा, इसके तेवर और सामग्री का निरंतर से काफी साम्य होगा। हम समाचार विचार के अलावा इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं की यात्रा, तकनलाजी व सामयिक विषयों पर नज़र बनाये रखेंगे। राजनीति व मनोरंजन इंडस्ट्री की खबरों को भी सम्मिलित करने की योजना है। शशि के साथ मिलकर यह प्रयास करना शायद स्वाभाविक भी था, हम दोनों पर ही फितूर सवार होते रहते हैं और ऐसे में दिनरात बस वही विषय सूझता है, ब्लॉगिंग भी ठंडे बस्ते में चली जाती है। उनके योगदान से इस पॉडकास्ट की रिपोर्टिंग में आपको पेशेवर रवैये की झलक ज़रूर मिलेगी।
अब बात दूसरी सनक की। ये है हिन्दी ब्लॉग्स डॉट आर्ग जो हिन्दी चिट्ठों की एक नई निर्देशिका है जिसके निर्माण में मेरा साथ दिया है रमण कौल ने। जब मैंने बांग्ला ब्लॉग्स शुरु किया था तो ये निर्देशिका बहुत ही सामान्य रूप में थी पर अब इसमें ढ़ेरों सुविधायें जोड़ी जा चुकी हैं, अगर आप बांग्ला ब्लॉग्स से तुलना कर के देखें तो आप ये जान पायेंगे। जल्द ही इस निर्देशिका को भी अपडेट किया जायेगा। इस निर्देशिका की सुविधाओं में श्रेणीवार लिस्टिंग, सामान्य व श्रेणीवार खोज, नये जुड़े चिट्ठों की जानकारी देती आरएसएस फीड, लोकप्रिय तथा नये चिट्ठों की विस्तृत सूची, ब्लॉग व ब्लॉगर प्रोफाईल शामिल है। आप रजिस्टर होने के उपरांत उसी खाते के अंतर्गत अपने सारे चि्टठे जोड़ सकेंगे, अपने कंट्रोल पैनल से उनकी व अपने प्रोफाइल की जानकारी यथासमय बदल सकेंगे, तथा अन्य चिट्ठों की समीक्षा व उनहें रेटिंग दे सकेंगे। ब्लॉग प्रोफाईल पेज पर उस चिट्ठे से संबंधित सारी जानकारी व उसकी ताज़ा प्रविष्टियों की जानकारी मिलेगी। ब्लॉगर प्रोफाईल पेज पर चिट्ठाकार की जानकारी होगी, उनके सारे चिट्ठों व समीक्षाओं की सूची के अलावा जन्मदिन व संपर्क की जानकारी भी होगी। कौन सी जानकारी दिखानी है ये निर्णय चिट्ठाकार स्वयं ही करता है।
आप में से कई यहाँ पंजीकृत हो रहे हैं, जिनके लिये ये ताज़ा खबर है वे ज़रूर रजिस्टर हों और अपने ब्लॉग जोड़ें। पर उससे पहले यह पन्ना ज़रूर पढ़ें जिससे आपकी सामान्य जिज्ञासाएं ज़रूर पूरी होंगी। और ये ध्यान दें कि ब्लॉग जोड़ने के उपरांत उसे क्लेम अवश्य करें अन्यथा ब्लॉग के लेखक के रूप में आपका नाम प्रदर्शित नहीं होगा, क्लेम करने के लिये आपको एक एचटीएमएल कोड अपने ब्लॉग के साईडबार पर डालना होता है जिसकी जानकारी यहाँ दी गई है। इससे एक नन्हा सा चित्र आपके ब्लॉग पर दिखेगा (उदाहरण के लिये पॉडभारती या नुक्ताचीनी देखें) जिस पर क्लिक कर पाठक आपके चिट्ठे की समीक्षा व रेटिंग लिख सकेंगे।
इस निर्देशिका के द्वारा लगातार समृद्ध होते हिन्दी ब्लॉगमंडल की पहचान व्यापक होगी और चिट्ठों तथा चिट्ठाकारों की मालूमात करना आसान होगा यही हमारी आशा है। मैं रमण के अलावा श्रीश, रवि भैया, जीतू और पंकज का भी शुक्रिया अदा करना चाहुंगा जिन्होंने साईट की टेस्टिंग में मदद की और उपयोगी सुझाव भी दिये। फिलहाल ये साईट बीटा अवस्था में ही है अतः दिक्कतें आ सकती हैं। किसी समस्या के मिलने पर या सुझाव देने के लिये मुझे साईट पर दिये फॉर्म द्वारा संपर्क कर सकते हैं।
रही बात फितूर की तो शायद सारे ख़त्म नहीं हुये अभी, निरंतर का नया अंक भी तो बनाना है 😉
“…रही बात फितूर की तो शायद सारे ख़त्म नहीं हुये अभी, निरंतर का नया अंक भी बनाना है…”
बक़ौल ग़ालिब,
फ़ितूर इतने बसे हैं मन में
कि हर फ़ितूर पे दम निकले!
ख़ुदा करे आपके भीतर के फ़ितूर कभी ख़तम न हों!
शुभकामनाएँ. 🙂
नहीं दादा,
फितुर को खत्म मत करना कभी. फितुर नहीं तो इंसान नहीं. फितुर मर गये तो जीता जागता इंसान मर गया.
और आप अमर हैं, अमर रहें, विचार अमर रहें, फितुर अमर रहें. इसी तरह से अतुलनीय कार्य करते रहें.
निर्देशिका बहुत ही अच्छे स्तर की है। हिंदी चिट्ठाकारिता में यह निर्देशिका बहुत ही महत्वपूर्ण रोल निभायेगी और जब हजारों की संख्या में हिंदी चिट्ठे हो जायेंगे तो निर्देशिका की उपयोगिता बहुत ही खास हो जायेगी। आपने बहुत आगे का सोचा।
आपसे हमें हमेशा जो कुछ भी मिला वह अच्छे स्तर का और अच्छी क्वालिटी का मिला। आप जिसे फितूर कहते हैं ये वो योजनायें हैं जो हिंदी चिट्ठाकारिता को समृद्ध कर रही हैं।
फितुर काहे खत्म हो.
आपके अंदर से फितूर अगर खत्म होने लगे तो फ़िर नया कुछ कहां से आएगा भाई साहब।
जीते रहें और फितूर आते रहें।
शुभकामनाएं
चढ़ाये रहिये फितूर.. अच्छा है.
हम्म दादा पब्लिकली अनाउंस कर ही दिया। अब सर्वज्ञ पर भी HindiBlogs.Org के बारे में लिखता हूँ। अभी तो आपसे बहुत सी उम्मीदें हैं। आप से ही तो हम नए लोग प्रेरणा लेते हैं।
ईश्वर करे आपकी हिन्दी सेवा इसी तरह जारी रहे।