अंतर्जाल पर मानसिक विकृति की कमी नहीं
कुछ दिनों पहले ग्लोबल वॉयसेज़ हिन्दी के लिये मैंने एक पोस्ट का अनुवाद किया था। यह पोस्ट मालदीव में पीडोफाईल्स यानि बाल यौन शोषकों के बढ़ते क्रिया कलाप पर केंद्रित थी। पर इस पोस्ट से किसी मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति की काम विकृति पूरी हो रही होगी इसका अंदाज़ा तो शायद कोई भी नहीं लगा सकता। इस पोस्ट पर कुछ दिनों पहले मुझे दो टिप्पणियाँ मिलीं, दोनों में वेब पता http://BHOPAL लिखा हुआ था, नाम भी एक जैसे ढंग से लिखे गये थे, हालांकि आईपी पते लखनऊ और भोपाल के थे। इन टिप्पणियों में पोस्ट के प्रति मुझे अजीबोगरीब रुख दिखा, पर चुंकि रुख बच्चों के बचाव का ही था अतः इन्हें प्रकाशित कर दिया गया, खास तौर पर एक टिप्पणी में लिखा गया,
बाल यौन शोषण मे बच्चे भी ज़िम्मेदार है. जब बाल यौन शोषण की क्रिया शुरू होती है, तो शुरू की क्रिया … बच्चा अपनी खुशी से करने देता है. लेकिन जब सेक्स करना शुरू करो तो बच्चे मना करते है, यदि शुरू से ही बच्चे इन कार्य के लिए मना करे तो यौन शोषण से बच सकते है।
बच्चे यौन शोषण के लिये खुद जिम्मेवार है? यह बात तो कोई मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति ही लिख सकता है।
आज इस पोस्ट को लिखने का कारण यह है कि मुझे इसी तरह की मिलती जुलती टिप्पणी फिर मिली है, इस बार आईपी पता रायपुर का है और टिप्पणी यूं है
बच्चो को यौन शिक्षा देना ज़रूरी है. क्योकि जब बच्चो के साथ यौन सबंध स्थापित करते है, तब बच्चा इन कार्यो से बहुत डरता है, जिस कारण वह न तो स्वयं संतुष्ठ हो पाता है नही सामने वाले को संतुष्ठ कर पाता है. यदि बच्चे को यौन शिक्षा दी जाए तो वह स्वयं भी संतुष्ठ हो जाएगा, और सामने वाले को भी संतुष्ठ कर पाएगा
मैंने यह टिप्पणियाँ अभी हटाई नहीं हैं, ताकी सनद रहे। पर इन्हें आज शाम को हटा दिया जायेगा।
मेरा दिल यह सोच कर दहल जाता है कि ऐसे लोग नेट पर हमारे आस पास टहल रहे हैं। कुछ साल पहले मैं अपने पुत्र के जन्म पर साईट बनाई थी पर जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि अंतर्जाल आपकी निजी तस्वीरों और जानकारी रखने के लिये मुफीद नहीं है। आप सभी इस बात से सहमत होंगे। मेरा अनुरोध है कि इस तरह के लोगों को अनदेखा ना कर सावधानी बरतें और अपने परिवार और बच्चों से संबंधित चीजें और व्यक्तिगत जानकारी नेट से जितना संभव हों दूर ही रखें। विकृत लोगों से बचने के लिये हर सावधानी ज़रूरी है।
पुनश्चः किन्हीं जगन ने टिप्पणी कर ताल ठोंककर कहा है कि वे ही वे विकृत व्यक्ति हैं। आईपी से पता चला कि वे भोपाल के ही हैं और गूगल ने खोजकर दिया यह पेज जहाँ से पता चला कि उनके ईमेल पते prajapat_jagan@rediffmail.com और jagan_prajapt@yahoo.com हैं और मोबाईल नंबर है 09926440494। क्या पुलिस इतनी जानकारी के आधार पर कार्यवाही कर सकती है?
दूसरी टिप्पणी मेरी एक चिट्ठी पर भी आयी है। आप ठीक कह रहे हैं यह विकृत मानसिकता दर्शाती है।
पहली बार सही बात अच्छे से उठाई , जमाये रहो
वाकई विकृत मानसिकता की कमी नहीं है.
मेरे परिवार के सदस्य का एक शाकाहारी कुकिंग ब्लागसाइट है और उस पर विष्ठा से खाना बनाने के बारे में पूछने के कमेन्ट आते हैं. एकदम घृणास्पद.
घोर निंदा के पात्र हैं ऐसी टिप्पणी करने वाले/ ऐसा सोचने वाले। भगवान ऐसे भी जंतुओं की रचना करते हैं!
पहली टिप्पणी मेरे इसी विषय पर लिखे लेख पर भी आयी थी. लगता है, विषय पर सर्च कर आपके, मेरे व उन्मुक्तजी के चिट्ठे पर एक जैसी टिप्पणी डाली गई थी.
यौन शिक्षा का नया ही लाभ खोज लिया इन महाशय ने.. सही कहते हैं आप इस तरह की बातें कोई मानसिक विकृत ही लिख सकता है।
विकृत मानसिकता!!
निन्दनीय!!
क्या यह संभव नहीं है कि अधूरे या अस्पष्ट पते वाले साइट्स को अपनी टिप्पणियों में या अन्य सहभागिता से वंचित (block) रखा जाय | महज़ चिन्ता जताने से बेहतर हैं कि कोई जानकार
इस दिशा में योगदान करे, एक नैतिक उत्तरदायित्व के रूप में !
मैं तो सिहर गया हूँ , सोच कर कि ऎसा भी हो सकता है । बच्चों के लिये एक साइट बनाने के
प्रयास में लगा हूँ ।
हद है, इंसान के भेस में कैसे-कैसे जानवर मौजूद हैं।
दुनिया में हर तरह के आइटम हैं।
काफी समय पहले एक जनाब थे, अपने को नेपाल का बताते थे, मेरे ब्लॉग पर बदतमीजी से भरी टिप्पणी कर गए। मैने पहले तो उनकी टिप्पणी मॉडरेशन मे रखी, सोचा शायद किसी और ने की होगी। फिर लगातार उसी आईपी से अश्लील टिप्पणियां चालू हो गयी। मैने उसको स्पैम के हवाले कर दिया, तब से उनसे पीछा छूटा।
अब आसपास मे ही, मेरे ब्लॉग पर भी अश्लील टिप्पणियां फिर से चालू हो गयी है। जानकारी प्राप्त करने पर पता चला है कि ये वाली आईपी भोपाल की है। मुझे आपके वाले किस्से से लगता है कि ये बन्दा वही है। खैर…. जो भी है, इस तरह की टिप्पणियां (हिन्दी में) करके अपने मानसिक दिवालियापन को ही दर्शा रहा है।
देबू दा, मैने एक अलग से इमेल लिखी है, देख लेना और पता करना कि आपके यहाँ की गयी टिप्पणी भी उसई आईपी से तो नही हुई?
विष्ठा का मतलब क्या होता है?
इन सूरमा भोपालियों को नज़रन्दाज़ ही करना चाहिए। इनके अन्दर दम हो तो अपने नाम से, अपने डोमेन से लिख कर दिखाएँ। तब गौर करेंगे, हम भी और भारतीय दण्ड संहिता भी। तब तक इन पर ध्यान देने का कोई तात्पर्य नहीं।
आलोक
निंदनीय है। ऐसे लोगों को ट्रेस किया जाना ज़रूरी है।