आग पर बैठे शहर
तहलका हिन्दी पत्रिका में झरिया की कोयला खदानों के गिर्द भूमिगत आग के बारे में रोचक खोजपरक लेख छपा है। मुझे खुशी है कि आज से दो साल पहले निरंतर पत्रिका में अतुल अरोरा और मैंने इसी विषय पर एक और खोजपरक लेख लिखा था, एक दहकते शहर की दास्तान। इस लेख में हमने अमरीका स्थित सेंट्रालिया में भूमीगत आग से बेघर लोगों की दास्तां लिखी थी। लेख में सेन्ट्रालिया पर व्यापक रिपोर्टिंग करने वाले एक पत्रकार डेविड डेकॉक का साक्षात्कार भी है और खदानों में आग क्यों लग जाती है इस पर जानकारी भी।
रोचक जानकारी।
वैसे तहलका बहुत इन्स्पायर नहीं करता। गलती शायद तहलका की नहीं, ५० के बाद आदमी बहुत प्रीकन्सीव्ड नोशन्स के साथ जीता है। 🙂
रोचक जानकारी।