मेरे हालिया डिलीशियस कड़ियों में अगर आपने को-कमेंट की कड़ी पर गौर फरमाया हो तो आपने ज़रूर इसे पसंद किया होगा। जो चिट्ठाकार एक से ज़्यादा ब्लॉग पर लिखते हैं उनके लिये यह एक काम का इजाद है।
टिप्पणियाँ तो ब्लॉग की आत्मा है (अमित मुझसे सहमत ना हों शायद) और को-कमेंट के द्वारा आप विभिन्न ब्लॉग पर किये अपनी टिप्पणियों का हिसाब रख सकते हैं। यह ब्लॉगर, वर्डप्रेस, टाईपपैड समेत अनेक ब्लॉगवेयर पर काम करता है, आपको बस करना किसी भी कमेंट को पोस्ट करने से पहले एक खास बुकमार्कलेट को क्लिक करना होता है (यह संबंधित ब्लॉग प्रविष्टि और टिप्पणी को उनके सर्वर पर प्रेषित करने का तरीका है), तरीका तो खैर कष्टदायी है क्योंकि कमेंट प्रेषण के लिये एक नहीं दो क्लिक करने पड़ेंगे पर जैसा की को-कमेंट के आगामी योजनाएँ कहती हैं जल्द ही वे आपके ब्लॉगवेयर में किसी इनबिल्ट जुगाड़ की व्यवस्था करने वाले हैं। वैसे मुक्तसोर्स परियोजनाओं में ऐसी सेवाओं के लिये प्लगईन तुरत फुरत आ ही जाते हैं।
को-कमेंट के द्वारा सहेजी गई बातचीत आप अपने ब्लॉग पर प्रदर्शित भी कर सकते हैं और नए कमेंट के बारे में क्षमल फीड द्वारा लगातार अभिज्ञ भी रह सकते हैं। को-कमेंट के जालस्थल पर अन्य काम की चीजें हैं सबसे ज़्यादा कमेंट वाले पोस्ट और को-कमेंट क्लाउड।
वेब-2.0 की हवा चल रही है और ब्लॉगजगत में कुछ ऐसा नया टूल सामने आता है तो उत्तेजना की लहर दौड़ जाती है। जो बात मुझे खटकती रहती है वह यह कि इन सेवाओं पर कितना भरोसा किया जा सकता है, हमें याद है कि ब्लॉगर पर कमेंट की व्यवस्था के पहले हेलोस्कैन जैसी मुफ्त सेवाओं पर हमारी कितनी निर्भरता थी, कितनों ने तो ब्लॉगर पर यह सेवा शुरू होने के उपरांत भी हेलोस्कैन का प्रयोग जारी रखा, फिर पता चला कि यह सेवा टिप्पणी के पुरालेख निगल जाती है और उनकी वापसी के लिये अंटी ढीली करनी पड़ती है। कोकमेंट की सेवा के साथ हालांकि टिप्पणियाँ संबंधित ब्लॉग पर तो सुरक्षित रहती हैं फिर भी…
को-कमेंट की बीटा सेवा पर फिलहाल पंजीकरण की खिड़की खुली नहीं है पर आप अपना ईमेल पता डाल कर तुरंत निमंत्रण पा सकते हैं। एक और बातः ब्लॉगर पर को-कमेंट आजमाते समय प्रिव्यू के पहले बुकमार्कलेट का प्रयोग न करें, केवल कमेंट प्रेषण के पूर्व ही करें नहीं तो टिप्पणी कोकमेंट तक पहुँचती नहीं।
को-कमेंट ~ टिप्पणियों का संसार
मेरे हालिया डिलीशियस कड़ियों में अगर आपने को-कमेंट की कड़ी पर गौर फरमाया हो तो आपने ज़रूर इसे पसंद किया होगा। जो चिट्ठाकार एक से ज़्यादा ब्लॉग पर लिखते हैं उनके लिये यह एक काम का इजाद है।
टिप्पणियाँ तो ब्लॉग की आत्मा है (अमित मुझसे सहमत ना हों शायद) और को-कमेंट के द्वारा आप विभिन्न ब्लॉग पर किये अपनी टिप्पणियों का हिसाब रख सकते हैं। यह ब्लॉगर, वर्डप्रेस, टाईपपैड समेत अनेक ब्लॉगवेयर पर काम करता है, आपको बस करना किसी भी कमेंट को पोस्ट करने से पहले एक खास बुकमार्कलेट को क्लिक करना होता है (यह संबंधित ब्लॉग प्रविष्टि और टिप्पणी को उनके सर्वर पर प्रेषित करने का तरीका है), तरीका तो खैर कष्टदायी है क्योंकि कमेंट प्रेषण के लिये एक नहीं दो क्लिक करने पड़ेंगे पर जैसा की को-कमेंट के आगामी योजनाएँ कहती हैं जल्द ही वे आपके ब्लॉगवेयर में किसी इनबिल्ट जुगाड़ की व्यवस्था करने वाले हैं। वैसे मुक्तसोर्स परियोजनाओं में ऐसी सेवाओं के लिये प्लगईन तुरत फुरत आ ही जाते हैं।
को-कमेंट के द्वारा सहेजी गई बातचीत आप अपने ब्लॉग पर प्रदर्शित भी कर सकते हैं और नए कमेंट के बारे में क्षमल फीड द्वारा लगातार अभिज्ञ भी रह सकते हैं। को-कमेंट के जालस्थल पर अन्य काम की चीजें हैं सबसे ज़्यादा कमेंट वाले पोस्ट और को-कमेंट क्लाउड।
वेब-2.0 की हवा चल रही है और ब्लॉगजगत में कुछ ऐसा नया टूल सामने आता है तो उत्तेजना की लहर दौड़ जाती है। जो बात मुझे खटकती रहती है वह यह कि इन सेवाओं पर कितना भरोसा किया जा सकता है, हमें याद है कि ब्लॉगर पर कमेंट की व्यवस्था के पहले हेलोस्कैन जैसी मुफ्त सेवाओं पर हमारी कितनी निर्भरता थी, कितनों ने तो ब्लॉगर पर यह सेवा शुरू होने के उपरांत भी हेलोस्कैन का प्रयोग जारी रखा, फिर पता चला कि यह सेवा टिप्पणी के पुरालेख निगल जाती है और उनकी वापसी के लिये अंटी ढीली करनी पड़ती है। कोकमेंट की सेवा के साथ हालांकि टिप्पणियाँ संबंधित ब्लॉग पर तो सुरक्षित रहती हैं फिर भी…
को-कमेंट की बीटा सेवा पर फिलहाल पंजीकरण की खिड़की खुली नहीं है पर आप अपना ईमेल पता डाल कर तुरंत निमंत्रण पा सकते हैं। एक और बातः ब्लॉगर पर को-कमेंट आजमाते समय प्रिव्यू के पहले बुकमार्कलेट का प्रयोग न करें, केवल कमेंट प्रेषण के पूर्व ही करें नहीं तो टिप्पणी कोकमेंट तक पहुँचती नहीं।
About the author
देबाशीषपुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर सलाहकार देबाशीष चक्रवर्ती हिन्दी के शुरुवाती चिट्ठाकारों में से एक हैं। वे इंटरनेट पर Geocities के दिनों से सक्रिय रहे हैं, उन्होंने अक्टूबर 2002 में अपना अंग्रेज़ी ब्लॉग नल प्वाइंटर और नवंबर 2003 में हिन्दी चिट्ठा नुक्ताचीनी आरंभ किया। देबाशीष DMOZ पर संपादक रहे हैं। उन्होंने हिन्दी व भारतीय भाषाओं के ब्लॉग पर एक जालस्थल चिट्ठा विश्व भी शुरु किया था, यह हिन्दी व भाषाई ब्लॉग्स का सबसे पहला एग्रीगेटर था। उन्होंने वर्डप्रेस, इंडिक जूमला तथा आई जूमला जैसे अनेक अनुप्रयोगों के हिन्दीकरण में योगदान दिया है। 2005 में उन्होंने इस पत्रिका (जिसे पूर्व में निरंतर के नाम से जाना जाता था) का प्रकाशन अन्य साथी चिट्ठाकारों के साथ आरंभ किया। देबाशीष ने इंडीब्लॉगीज नामक वार्षिक ब्लॉग पुरुस्कारों की स्थापना भी की है। उन्हें बुनो कहानी तथा अनुगूंज जैसे सामुदायिक प्रयासों को शुरु करने का भी श्रेय जाता है। संप्रति ब्लॉग लेखन के अलावा हिन्दी पॉडकास्ट पॉडभारती पर सक्रीय हैं और यदाकदा अंग्रेज़ी व हिन्दी विकिपीडिया पर योगदान देते रहते हैं।