डॉ. नारà¥à¤²à¥€à¤•र केवल समीकरणों और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚डीय सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• नहीं थे। वे उस पीढ़ी के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• थे, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को सामानà¥à¤¯ जनमानस से जोड़ा।
बी बीसी की इस हालिया रपट को पॠकर काफी चिंता हà¥à¤ˆà¥¤ इसके मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• संरचनातà¥à¤®à¤• असमानता और तकनीकी बदलाव à¤à¤¾à¤°à¤¤ के उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ बाजार और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ªà¤µà¤•à¥à¤° को नया आकार दे रहे हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ की 140 करोड़ आबादी में से लगà¤à¤— 70% यानि तकरीबन 100 करोड़ के पास विवेकाधीन खरà¥à¤š करने की शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं है। “उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ […]
कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठकार-मà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ है? यह लेख बेहतर सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• परिवहन और बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ ढांचे में बदलाव की आवशà¥à¤¯à¤•ता के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर चरà¥à¤šà¤¾ करती है।
हम अपने खून पसीने की कमाई सरकार पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ कर उनके पास जमा रखते हैं ताकि हमारे जीवन की संधà¥à¤¯à¤¾ बेफिकà¥à¤° बीते पर ये राशि ज़रूरत पड़ने पर हमें मिले ही नहीं तो कà¥à¤¯à¤¾ होगा? फालतू कारणों से दावों को खारिज होना चिंताजनक है।
हम सोचते हैं कि à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° की जड़ नेता और राजनीति है, इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह हैं। सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह नहीं बदलते।
फ़ेसबà¥à¤• के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• मारà¥à¤• ज़à¥à¤•रबरà¥à¤— हाल ही में à¤à¤¾à¤°à¤¤ आये थे। कयास लगे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में बेतहाशा लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ आरà¥à¤•à¥à¤Ÿ से इसी धरती पर दो दो हाथ करने का इरादा बना है। पर सारे कयासों के बीच असलियत कà¥à¤› और ही निकली। जानने के लिये पà¥à¤¿à¤¯à¥‡ पूरी पोसà¥à¤Ÿà¥¤