इंक ब्लॉगिंगः हुनर हाथों का
इंक ब्लॉग लिखने के लिये लेखक प्रविष्टि टाईप न कर अपनी हस्तलिपि में ही कागज़ पर लिख कर और तत्पश्चात उसे स्कैन कर उसकी इमेज प्रेषित कर देता है। इसे टैबलेट पीसी व विंडोज़ जर्नल जैसे सॉफ्टवेयर के द्वारा और सरलता से भी किया जा सकता है। ये तंत्रांश आपको डिजीटल माध्यम से लिखने देते हैं। कुछ लोग कैमरे के द्वारा अपने लेख का चित्र खींच कर भी प्रेषित करते हैं।
ब्लॉगिंग के ये विधा थोड़ी कष्टकर ज़रूर है, और इसमें निःसंदेह समय भी ज्यादा लगेगा पर इस अनूठी विधी से आपका व्यक्तित्व बेहतर परिलक्षित होगा, हो सकता है कोई ग्राफोलॉजिस्ट पाठक आपके हस्तलेख से आपको और बेहतर तरीके से जान सके। साथ ही कागज़ पर आप ऐसे तरीकों से लिख सकेंगे जो कंप्यूटर पर संभव नहीं। पर बिलाशक ज़्यादातर लेखक विशेष अभिरुचि के कारण ही इतना श्रमव्यय करेंगे। आप फ्लिकर पर यहाँ ढेर सारे हस्तलिखित चिट्ठे देख सकते हैं।
यह पढ़कर एक प्रश्न तो आपके मन में निश्चित ही उठा होगा वो यह कि प्रविष्टि तो एक इमेज या छवि है तो क्या हम हाइपरलिंक्स जैसे फीचर्स को अनदेखा नहीं कर रहे। साथ ही गूगल जैसे खोज इंजन भला हमारी प्रविष्टि को कैसे इंडेक्स करेंगे। इन दोनों ही प्रश्नों का हल कठिन नहीं है। इमेज पर कड़ियाँ तो इमेज मैप या हॉटस्पॉट के रूप में डाली जा सकती हैं और फ्रंटपेज जैसे किसी भी संपादन तंत्र की मदद से आप ये कड़ियाँ आसानी से बना सकेंगे (मसलन ऊपर दर्शाये हस्तलिखित पैरा में “पिछली प्रविष्टि” शब्दों पर माउस घुमा कर देखें)।
रही बात प्रविष्टि के सर्च इंजनों की नज़र में आ सकने की तो इसके लिये आपको ज़रूर थोड़ा काम और करना होगा। आपको अपनी प्रविष्टि साधारण ब्लॉग प्रविष्टि की तरह ही टाईप कर उसको अपने एचटीएमएल का कुछ इस तरह हिस्सा बनाना होगा ताकि वो दिखे नहीं, उदाहरण के लिये उसे <span style="display:none"></span> टैग के साथ प्रयोग कर के। आप चाहें तो हस्तलिखित और टंकित पोस्ट को साथ साथ भी दिखा सकते हैं।
लेखक की ही हस्तलिपि में लिखे चिट्ठों का ये नैसर्गिक रूप बड़ा ही मनभावन होता है और ये तरीका काफी लोकप्रिय भी है। इंक ब्लॉगिंग जटिल तो है पर परिष्कृत ब्लॉगरों को अपनी पहचान बनाने का अवसर देती है। कला के प्रति रुझान सखने वाले इस के द्वारा अपनी रचनात्मकता का भी प्रदर्शन कर सकते हैं।
देबाशीष जी, आपकी हस्त लिपि सुन्दर लगी। मैने पिछले दिनों ऐसा एक टेस्ट ब्लॉग पर किया था, पर हिन्दी वाले ब्लॉग पर अभी तक नही लगा सका। बधाइयाँ एवं धन्यवाद।
अरे वाह, अब तो हम भी लिखेंगे अपनी हस्तलिपि में। कभी-कभी। लेकिन इसमें बदलाव की सुविधा नहीं होगी। जब मन आया जोड़-घटाना कर लिया।:)
यदि मैने इंक ब्लागीग की तो पढेगा कौन ? अपनी तो आप लिखे खुदा बांचे वाली हस्तलिपी है 🙂
भाई जी
प्रथम हिन्दी इंक ब्लागर का ईनाम बांटने निकला तो देखा सागर भाई ने भी दावा ठोका हुआ है. अब जब यह विवाद निपटा लोगे, तब फिर से ईनाम बांटने की सोची जायेगी. 🙂
बधाई जानकारी के लिये.
अनूप भाई की सोच भी जायज है. जगह छोड़ छोड़ कर लिखें डबल लाईन स्पेस में, ताकि बीच बीच में एडजेस्टमेंट किये जा सकें. 🙂
सभी का शुक्रिया!
अनूपः आप तो धुरंधर टंकक हैं, मैं शर्त लगा सकता हूँ कि एक हस्तलिखित पोस्ट के समय में आप कम से कम आधे दर्जन पोस्ट टाईप कर पायेंगे, फिर भी आपकी ऐसी पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी।
समीर भाईः आपकी टिप्पणी का तीर जल्दी छूट गया दिक्खे है। मुर्गी पहले आई या अंडा का फेर छोड़ें और देखें कि सागर के चिट्ठे की पहली लाइन में ही इस प्रविष्टि का ज़िक्र है 😉
आशिषः चिंता न करो, अपन भी कम नहीं हैं। ये पूरी प्रविष्टि ही हस्तलिपि में प्रकाशित करने का मन था पर जो काँटछाँट शुरु हुई उससे बस एक पैरा प्रकाशित करना ही मुनासिब समझा 🙂
जे तो गल्त है भई! मतलब पहले दूसरे का क्या मतलब, चाहे सारे ही ब्लागर मसि-ब्लॉगर या मसि-चिट्ठाकार बन जाओ पर भाई लोग हिंया तो हम हैं ही मसिजीवी। तो बाद के सब मसिकर्मी बाद में हैं- मसि हमारा ही ट्रेडमार्क है। देबाशीष आपका मसिजगत में स्वागत है। 🙂 और हॉं क्या अब भी बताना पड़ेगा कि ink blogging को क्या कहेंगे ? मसि-चिट्ठाकारी
अच्छा है परंतु मामला बहुत तकनीकी लग रहा है।
मसिजीवीःआप हिन्दी में लिखते तो ख़ाकसार को कुछ समझ भी आता 🙂
अतुलः टैब्लेट पीसी जैसे तंत्रों की मदद से की जाने वाली इंक ब्लॉगिंग ज़रूर थोड़ा तकनीकी मामला है पर हाथ से लिख स्कैन करना तो मुझे नहीं लगता कठिन होना चाहिये। हाँ, थोड़ा समय और धैर्य ज़रूर लगता है।
रमणः भई वाह!
समीर भाईसा.
जिस तरह हिन्दी चिट्ठाकारी के पितामाह आलोक जी माने जाते हैं उसी तरह हिन्दी मसि चिट्ठाकारी या इन्क ब्लॉगिंग के पितामाह देबूदा ही माने जायेंगे. इन्होने ही तो यह रास्ता सुझाया है। देवाशीष जी सिर्फ इन्क ब्लॉगिंग ही नहीं कई मामलों में मेरे गुरु है। 🙂
और मैं चेला होकर, गुरु को गुड़ बनाकर; चीनी नहीं बनना चाहता। 🙂
रमन भाई साहब का सुझाव सही लगा कि लिकित मसौदा अलग (रंग में) दिखना चाहिये जैसा यहाँ दिख रहा है। यह टिप्पणी करते समय एक बात और ध्यान में आई कि मैं आपके चिठ्ठे का 11000वां मुलाकाती हूँ। आपको यह शुभ अंक मुबारक हो।
मसिजीवी की टिप्पणी से मसिजीवी शब्द का अर्थ भी समझ में आया, और इंक-ब्लॉगर के लिए नया शब्द भी मिला (मसि-चिट्ठाकार)। मसि का अर्थ स्याही होता है, इस बात की ओर अब ध्यान गया।
(इसे धरमेंदर इश्टाईल में पढ़ा जाये) “मसिजीवीज्जी आपने मेरी आँख्खें खोल दी आँख्खें”…वैसे मेरे दिमाग में “कलमकारी” जैसा शब्द ही आ पाता…रमण तफ़्तीश करने और जानकारी देने के लिये शुक्रिया!
सागर, रमणः जी हाँ कड़ी को अलग तरह से दिखाना भूल गया।
इसमें कोई शक नहीं कि ब्लॉगिंग जैसी व्यक्तिगत विधा में हाथ से लिखी प्रविष्टियों का मज़ा और प्रभाव कुछ और ही है. हालाँकि मसिचिट्ठाकारी (शुक्रिया मसिजीवी, इस शब्द के लिए) के मुख्यधारा में आने की संभावना को तो तकनीकी दिक्कतें और झंझट कम कर देते हैं, फिर भी मेरे ख़याल में ये अभी जितनी है उससे ज़्यादा लोकप्रिय होनी चाहिये.
संयोग ही है कि मैंने २ दिन पहले एक नया टैबलेट पीसी ऑर्डर किया और कल ये आपकी पोस्ट पढ़ी. अगर हुआ तो आने वाले दिनों में मसिचिट्ठाकारी में कुछ हिस्सा मेरा भी होगा.
बाइ-द-वे, आपकी हस्तलिपि बड़ी सुंदर है.
शुक्रिया विनय! आप विंडोज़ लाईवराईटर के इस प्लगिन का भी प्रयोग कर बतायें, मुझे विश्वास है कि आपके कंप्यूटर पर डॉटनेट फ्रेमवर्क ज़रूर मौजूद होगा।
I wish I could read your language, but I’ll assume all the smilies in the comments are a positive sign. 🙂
Debashish replied: Hey good to read your comment here. Yes people have been excited discovering the first “Hindi Ink Blog post” and as you could see have been trying to use it in their posts and even in comments.
आपको हिन्दी का पहला मसि-चिट्ठाकार (इस शब्द के लिए मसिजीवी जी को धन्यवाद) और रमण जी को पहला मसि-टिप्पणीकार बनने के लिए बधाई ! 🙂
नियमित तौर पर ना सही पर शौक के लिए कभी कभी भाई लोग ये काम कर ही सकते हैं।
मेरे पास न स्कैनर है न डिजिटल कैमरा अन्यथा टिप्पणी हस्तलिखित ही करता। बाकी हस्तलिखित ब्लॉग लिखूँगा तो सभी पाठक भाग जाएंगे क्योंकि अपनी भी लिखाई आशीष भाई की तरह “आप लिखे खुदा बांचे” वाली है। 🙁
धन्यवाद, अच्छी सूचना है।
बडी अद्भुत है इंक ब्लागिग..जानकारी काफी महत्वपूर्ण है..उम्मीद है जल्द् सीख सकेंगे..
धन्यवाद.