बढ़ती आर्थिक असमानता: भारत के विकास मॉडल पर सवालिया निशान

बी बीसी की इस हालिया रपट को पढ़ कर काफी चिंता हुई। इसके मुताबिक संरचनात्मक असमानता और तकनीकी बदलाव भारत के उपभोक्ता बाजार और आर्थिक प्रक्षेपवक्र को नया आकार दे रहे हैं। भारत की 140 करोड़ आबादी में से लगभग 70% यानि तकरीबन 100 करोड़ के पास विवेकाधीन खर्च करने की शक्ति नहीं है। “उपभोक्ता […]

कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।

क्या आपके प्रॉविडेंट फंड का पैसा आपको मिले पायेगा?

हम अपने खून पसीने की कमाई सरकार पर भरोसा कर उनके पास जमा रखते हैं ताकि हमारे जीवन की संध्या बेफिक्र बीते पर ये राशि ज़रूरत पड़ने पर हमें मिले ही नहीं तो क्या होगा? फालतू कारणों से दावों को खारिज होना चिंताजनक है।

Jayshree

कोउ नृप होउ

हम सोचते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ नेता और राजनीति है, इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह हैं। सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह नहीं बदलते।

फ़ेसबुक, बाबा और क्रिसमस भंडारा

फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरबर्ग हाल ही में भारत आये थे। कयास लगे भारतियों में बेतहाशा लोकप्रिय आर्कुट से इसी धरती पर दो दो हाथ करने का इरादा बना है। पर सारे कयासों के बीच असलियत कुछ और ही निकली। जानने के लिये पढ़िये पूरी पोस्ट।

ऐसी उम्मीद ही क्यों?

ऐसी ख़बर से इंडिया का क्या फायदा होगा दोस्त? कुछ क्वालिटी काम करो भाई. इंजीनियर्स, डॉक्टर्स, स्टूडेंट्स, किसान, सैनिक, मंत्री क्या कर रहे हैं बताओ. इंडिया सुपर पावर कैसे बनेगा यह बताओ. हीरो – हीरोइन की ख़बर से आगे नही बढ़ेगा देश. जोश-18 पर एक फालतू फिल्मी खबर पर उरुगुये के एक पाठक सुनील की […]