विदेश में बच्चे जिस तरह बड़े होते हैं ये नज़दीक से देखा तो मन थोड़ा खट्टा हुआ। बच्चा मचल रहा है कि माँ या पिता गोद में ले ले, सीने के नज़दीक रखे पर वो तो बैठा है बच्चागाड़ी में, मुँह में चुसना जैसे उसका मुंह बंद करने के लिये ही है। बच्चे का हाथ पकड़कर चलने से परहेज़ करते माँ बाप एक दूसरे का हाथ थामे चल रहे हैं, हर सिग्नल पर एक दूसरे को चूम रहे हैं। माजरा ऐसा कि बच्चा तो फिर भी मिल सकता है पर जीवनसाथी कहीं भाग न जाये। जो चुसना बच्चे के मुँह में उसको एश्योरेंस दे रहा है वही एश्योरेंस जोड़ा हाथ थाम कर, एक दूजे को चुंबन से दे रहा है।

परवरिश के लिये जोड़े का “आर्थिक गठबंधन” भी तो ज़रूरी है। लगता है जैसे जोड़े बच्चों को ढो रहे हैं, शॉपिंग कार्ट और बच्चागाड़ी एक ही जैसे लगते हैं। दोनों में दिलासा देने के लिये चीनी खिलौने भरे हैं। कभी तो लगता है कि अमरीका में कुत्ते बच्चों से अच्छी किस्मत लेकर पैदा होते हैं, उनके खानपान और रखरखाव पर उतना ही खर्च और परिश्रम है, उनके पीछे भी साफ सफाई का काम है, पर कम से कम वे मालिक के साथ घूम तो लेते हैं। कामकाजी कपल की रोज़मर्रा के भागमभाग के ये दृश्य अब भारत में भी दिखते हैं और शायद जल्द ही आम भी हो जायें।