तुम भी फीड बर्न कर लो
जब मेरा अंग्रेज़ी ब्लॉग जेरौलर पर हुआ करता था तब फीडबर्नर की मकबूलियत के बावजूद कभी आजमाया नहीं। अपनी चीज़ दूसरे के हाथ देने में डर तो लगता ही है। पर जब वर्डप्रेस पर ब्लॉग स्थानांतरित हुआ तो अपनी इस हिचक पर कोफ़्त हुआ। मेरा ब्लॉग कहीं भी रहे उसके फीड का पता भी क्या हर बार बदलना चाहिये?
वर्डप्रेस पर आने के बाद पता चला कि यह ब्लॉग की विभिन्न प्रारूपों में क्षमल फीड प्रकाशित करता है जैसे कि आरएसएस, एटम आदि। विकल्प होना अच्छी बात है पर प्रकाशक होने के नाते हम यह जानना चाहते हैं कि हमें कौन पढ़ता है और इतने विकल्प होने से फीड पाठकों की सही संख्या का अनुमान लगाना दुष्कर कार्य है।
फिर लगा कि यह तो किसी और न भी ज़रूर सोचा होगा, गूगल किया तो तुरंत ही हल मिल गया। यह हल है वर्डप्रेस का एक उम्दा प्लगइन। “फीडबर्नर प्लगइन” से आप अपने वर्डप्रेस ब्लॉग की तमाम फीड की राह एक ओर कर सकते हैं, यहाँ तक कि टिप्पणियों की फीड को भी। पाठक आपके ब्लॉग की चाहे जो भी फीड पढ़ता हो वह सभी फीडबर्नर की फीड ही होंगी, उन्हें इस बात की भनक भी न लगेगी। ज़ाहिर है कि प्लगइन के इस्तेमाल के लिये आपको अपने ब्लॉग का फीडबर्नर फीड बनाना होगा।
फीडबर्नर अपनी मौजूदा ब्लॉग फीड को संवारने का बढ़िया माध्यम है। करीब 2.5 लाख लोग इसका प्रकाशन करते हैं और करोड़ों पाठक पढ़ते हैं। चिट्ठाकार के लिये फायदे तो काफी हैं। आपको अपने पाठकों का सही अंदाज़ा लगता है, फीड का विश्लेषण कर सकते हैं और दर्शा भी सकते हैं। फीडबर्नर की अनेकों खासियतें हैं, जिन्हें वे फीचरेट्स पुकारते हैं, जैसे कि ईमेल से पाठक बना सकने की सुविधा जिससे फीडब्लिट्ज़ जैसी सुविधा के प्रयोग की ज़रूरत ख़त्म हो जायेगी। इसके अलावा बज़बूस्ट और हेडलाईन एनीमेटर की मदद से आप अपने ब्लॉग की सुर्खियाँ दूसरे जालस्थल पर दिखा सकते हैं, पिंग सेवा टेक्नोराती जैसी सेवाओं को नई प्रविष्टि की सूचना दे सकती है (हालांकि वर्डप्रेस खुद ही यह काम कर देता है), अपने फीड को पासवर्ड द्वारा सुरक्षित कर सकते हैं और इससे पैसे भी कमा सकते हैं।
नुक्ताचीनी पर यह शुभ कार्य कर दिया गया है (साईडबार में ऊपर देखें), फीड की सरदर्दी दूर करने का इससे बेहतर क्या उपाय!
सही है दादा, लगे रहो। 🙂
उरी बाबा ये तो कब से डाउनलोड करके रखा है, लगता है इस्तेमाल करके देखना पड़ेगा
सही है. वैसे सच यह है कि तमाम तकनीकी शब्द जो यहां प्रयोग हुये उनका सही-सही मतलब महीनों से सुनने के बावजूद हमें नहीं पता हैं जैसे कि क्षमल फीड. अब विकिपीडिया पर उसको देख रहे है. इंशाअल्लाह समझ भी जायेंगे. लगातार दो लेख नुक्ताचीनी पर देखकर सुखद अनुभूति हुयी.
अपके लेखों मे बहुत बढिया और नई बातों की जानकारी होती है – आपका धन्यवाद
आपने कोई दर्जन भर बुकमार्क की कड़ियाँ लगा रखी हैं. क्या ये सभी हिन्दी समर्थित करती हैं
मैंने एक दो को जाँचा था – मसलन डिग. पर उसमें हिन्दी का समर्थन नहीं दिखाई दिया था. मैं कहाँ गलती पर था?
टिप्पणियों के लिये सभी का शुक्रिया!
अनूपः आप मेरे गुरु हैं, पर मैं आपकी बात से सहमत होना चाहुंगा, क्योंकि कुछ कुछ आप जैसा हाल मेरा भी है, कवितायें मेरे पल्ले नहीं पड़ती, वे मेरे लिये “क्षमल फीड” जैसी गुत्थी ही रहेंगी 😉
रविः सारी कड़ियों का तो नहीं कह सकता, ये लगाना आसान था, वर्डप्रेस का एक प्लगइन काम चुटकियों में कर देता है। तो सभी कड़ियाँ कभी आजमाई नहीं, पर लगता नहीं कि किसी साईट पर यूनिकोड न चले, डिग पर http://digg.com/software/upcoming पृष्ठ देखें अभी मैंने आजमा कर देखा। बुकमार्क तो हुआ है। आप किस स्थल की बात कर रहे हैं?
मुझे लगता है कि फिर यह ब्राउज़र का पंगा होगा