नुक्ताचीनी ने मेज़बानी की तीसरी अनुगूँज की, और विषय ऐसा था जिस पर एक अंग्रेज़ी ब्लॉगर लगातार लिखते रहे हैं, “द एकार्न” के रचनाकार, सिंगापुर में बसे, नितिन पई। पेशे से दूरसंचार इंजीनियर नितिन एक प्रखर व मौलिक चिट्ठाकार हैं। अपने चिट्ठे में वे दक्षिण‍ एशियाई राजनैतिक और आर्थिक परिदृश्य पर खरी खरी लिखतें हैं, इस्लामिक व एटमी ताकत़ वाले राष्टृ खासतौर पर पाकिस्तान पर इनकी पैनी नज़र रहती है। मेरी गुज़ारिश पर नितिन ने अनुगूँज में शिरकत की जिसके लिए उनका धन्यवाद!

Akshargram Anugunjजिहादी आतंक ने जम्मू-कश्मीर राज्य की आर्थिक व्यवस्ता को गम्भीर हानि पहुँचायी है। पर्यटन और ग्रामोद्योग इस राज्य के प्रमुख व्यव्साय रहे हैं, लेकिन आतंकवादियों ने इन्हीं व्यवसायों को खास रूप से अपना निशाना बनाया है। कारण साफ है – आम जनता की उम्मीद जब तब बुझी रहे तब तक आतंकवादी दलों में शामिल होनेवालों कि कमी नही रहेगी। आतंकवाद के बीते दस-बारह सालों ने दो पीढ़ीयों की शिक्षा चौपट की है, जिसके कारण राज्य के आर्थिक सुधार की राहों में काफी मुश्किलें पैदा हो गयीं है।

इस समस्या का पूरा हल आसान नही है। सरकार की आर्थिक मदद तो ज़रूरी है ही पर आतंक का पूर्ण रूप से रुकना उस से भी ज़्यादा ज़रूरी है। यह दक्षिण अफ़्रीका की ‘सत्य और समाधान#‘ समिति ने कर दिखाया है। अगर आम आतंकवादी अपनी हिंसा को पूरी तरह से त्याग कर अपने किये अपराधों को मान ले तो सरकार उन्हें माफ़ कर सकती है। इसके बाद पहला कदम है समाज में उनकी वापसी और दूसरा कदम, आर्थिक अनुकलन।

#नितिन मानते हैं कि कश्मीर समस्या का हल दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के अपराधियों के साथ न्यायोचित व्यवहार के लिए स्थापित सत्य और समाधान कमीशन की तर्ज पर किया जा सकता है।