डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर को एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि

डॉ. नार्लीकर केवल समीकरणों और ब्रह्मांडीय सिद्धांतों के वैज्ञानिक नहीं थे। वे उस पीढ़ी के प्रतीक थे, जिन्होंने विज्ञान को सामान्य जनमानस से जोड़ा।

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बढ़ती आर्थिक असमानता: भारत के विकास मॉडल पर सवालिया निशान

बी बीसी की इस हालिया रपट को पढ़ कर काफी चिंता हुई। इसके मुताबिक संरचनात्मक असमानता और तकनीकी बदलाव भारत के उपभोक्ता बाजार और आर्थिक प्रक्षेपवक्र को नया आकार दे रहे हैं। भारत की...

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कृत्रिम मेधा (AI): विरोध से परिवर्तन की ओर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रति लोगों का विरोध दरअसल एक नई क्रांति की दस्तक है, जहाँ चुनौतियों को अवसरों में बदलने की कला सीखनी होगी।

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The Agile Chronicles Merch
Jayshree

कोउ नृप होउ

हम सोचते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ नेता और राजनीति है, इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह हैं। सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह नहीं बदलते।

सौहार्दपूर्ण उदासीन आश्चर्य

गूगल के अनुवादक की कृपा से आज यह मजेदार ईमेल मिली (मूल ईमेल के कुछ हिस्से छुपा दिये गये हैं)

1000वीं चिट्ठा चर्चा पर एक लेटलतीफी पोस्ट

10 नवंबर 2009 को हिन्दी ब्लॉग जगत के सार्वजनिक उपक्रम चिट्ठा चर्चा ने अपनी एक हजारवीं पोस्ट छापी। लेखों के बाढ़ से अपनी रुचि या काम की जानकारी पाने के लिये चिट्ठा चर्चा जैसे मंचों की ज़रूरत हमेशा बनी रहेगी। देखना यह है कि क्या समय के अनुरूप ये अपने को ढाल कर सफलता के नये परचम लहराते हैं या फिर यही कलेवर बनाये रख अपनी लोकप्रियता और उपयोगिता को बरकरार रख पाते हैं।

सामयिकी चिट्ठा वार्षिकी सर्वेक्षण 2008

सामयिकी जालपत्रिका ने चिट्ठा वार्षिकी 2008 हेतु एक सर्वेक्षण का आयोजन किया है। सर्वेक्षण के नतीजों के आधार पर सामयिकी पर “चिट्ठा वार्षिकी 2008″ श्रृंखला के अंतर्गत रपट इस माह प्रकाशित होगी। इस सर्वेक्षण के द्वारा हम हिन्दी चिट्ठामंडल के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग पोस्ट और ब्लॉगरों की भी घोषणा करेंगे। सभी हिन्दी ब्लॉगरों से इस […]

ज़रा फिर से कहना

ज़रा फिर से कहना

”क्रोम” का बीटा संस्करण कम्प्यूटर व्यावसाय जगत में माइक्रोसॉफ्ट के प्रभुत्व में इज़ाफ़ा करेगा। गूगल के नये ब्राउज़र क्रोम पर बीबीसी हिन्दी की विशेष टिप्पणी। जी दुरस्त फ़रमाया! इससे अच्छा तो मैं जर्मन भाषा में लिखे ब्लॉग को हिन्दी में पढ़ लूं। सुंदर, मैं अनदेखी चिकनी 🙂 पुनश्चः अनुनाद ने ध्यान दिलाया। लगता है बीबीसी […]

भैया बोलके कचरा नई करने का!

भैया बोलके कचरा नई करने का!

कई बार चित्र वाकई वो कहानी बयां कर जाते हैं जिसको हजार शब्दों की दरकार नहीं होती. ईमेल फॉर्वर्ड से प्राप्त 🙂