क्या इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत के एकाधिकार की ओर बढ़ रहे हैं?

शुरुआती ईवी के विपरीत, नए मॉडलों में अक्सर सीलबंद बैटरी पैक होते हैं, जो मरम्मत और रीसाइक्लिंग रोक कर पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा करते हैं।

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कार-मुक्त शहरः भारत के लिए एक अधूरा सपना या एक स्थायी भविष्य?

क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।

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Amazon Prime

बेअदब इश्तहार

एएक्सएन पर एक कार्यक्रम आता है, जिसमें दुनिया भर से नामचीन उत्पादों के टी.वी कमर्शियल दिखाये जाते हैं। कहना न होगा कि इनमें से बहुत सारे विज्ञापन उत्तेजक होते हैं। भारतीय विज्ञापन जगत को देश में भाषा, जाति, राज्य की सेंसिबिलिटी आदि का काफी ध्यान रखना होता है। हमारे यहाँ देर रात केबल पर चाहे […]

फिर बहाये गये घड़ियाली टसुये

भारतीय नागरिक सूर्यनारायण की तालीबानी कट्टरपंथियों द्वारा हत्या को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की काफी तवज्जोह मिली। सरकार ने निंदा का बयान जारी किया और सूर्यनारायण की विधवा को नौकरी और मुआवजे की रकम देने की घोषणा की। इसके सापेक्ष कल्पना कीजिये दिल्ली में लुटेरों द्वारा मारे गये किसी अधेड़ की या पुणे में सड़क दुर्घटना में […]

अप्रेल सप्ताह ३ के स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह

स्क्रैपब्लॉगआपकी आनलाईन स्क्रैप बुक। टैग: [online+tools scrapblog web2.0] ज़िकीप्रोफाईल बनाईये और टैग किजिये। टैग: [socialsoftware tags web2.0 ziki] मेरा डिलिशीयस पुरालेखागार

अप्रेल सप्ताह २ के स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह

फीडोस्टाईलअब किसी भी क्षमल फीड से आकर्षक टिकर और स्क्रॉलर्स बनाइये। टैग: [feed feedostyle rss] सिम्पली गूगलहर गूगल जुगाड़ की कड़ी यहाँ है। टैग: [google simplygoogle गूगल] बीबीसी ब्लॉग नेटवर्कअपने सभी ब्लॉग्स का ही नेटवर्क बना डाला बीबीसी ने। टैग: [bbc blog+network ब्लॉग+नेटवर्क] मेरा डिलिशीयस पुरालेखागार

कवि या फेफड़ों के डाक्टर?

थोड़ी सी धूल मेरी धरती की मेरे वतन की, थोड़ी सी खुशबू बौराई सी मस्त पवन की, थोड़ी सी धौंकनी वाली धक‍धक‍ धक‍धक‍ धक‍धक‍ सांसें, जिनमें हो जुनूं जुनूं, हो बूँदे लाल लहू की। अरे भैया प्रसून हम तो आपको एडमैन टर्न्ड लिरिसिस्ट समझ बैठे पर आप तो कुछ और ही निकले। धूल से धौंकनी […]

काम है तेरा तेरा

हिमेश रेशमिया ने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि उनके पास १००० गानों का स्टॉक पड़ा है और वो रोज़ दो तीन गाने तो रियाज़ करते ही स्वरबद्ध कर लेते हैं। मुझे तो बड़ा डर लगने लगा है, तो क्या आने वाले दो तीन सालों तक समीर के लिखे और इन नाक से गाये गानें […]