रहिमन माया संतन की..

उज्जैन में सिंहस्थ की खबरों में बड़ा अजीब विरोधाभास नजर आता है। भई, बचपन से हम को तो यही सिखाया-बताया गया है कि साधु वैराग का दूसरा नाम होते हैं; मोह-माया, मानवीय कमजोरियों, वर्जनाओं से परे, गुणीजन होते हैं। हो सकता है कि कलियुग की माया हो, वरना मुझे तो ऐसे कुछ संकेत दिखे नहीं। […]

बॉलीवुड और चोरी की प्रेरणा

मेहमान का चिट्ठा: हेमन्त विगत दिनों जब बार्बरा टेलर ने सहारा टीवी के धारावाहिक करिश्मा को कॉपीराईट उल्लंघन के आधार पर बंद करवाने की धमकी दी थी तो बॉलीवुड में सपने बुनने के कारखाने को तो जैसे साँप सूँघ गया था। हालाँकि बाद में बार्बरा मान‍ मनोव्वल से बस में कर ली गईं पर इस […]

बकाया बातें

फिर वही दौर जब चिट्ठे पढ़ता तो हूँ पर कुछ लिखने का जी नहीं करता। ऐसे में सोचा कुछ बकाया बातें कर ली जाएं। पहले हिन्दी के तकनीकी शब्दों के प्रयोग से संबंधित एक बात। शायद आप को ञात हो, की सूचना प्रोद्योगिकी से संबंधित शब्दों के अंग्रेज़ी से हिन्दी मान्य तजुर्मे यहां उपलब्ध है। […]

हम ब्लॉग

प्राकृत भाषा में ब्लॉग की बात करें तो निःसंदेह अगुआई का सेहरा तमिल भाषियों के सर बंधेगा। हिन्दी चिट्ठों के संसार में नई लहर उठे अभी शायद कुछ माह ही हुए हैं, आलोक ने भी तकरीबन १ साल पहले अपना हिन्दी चिट्ठा शुरु किया था, पर तमिल भाषा में कई चिट्ठाकारों ने मिलकर इस आंदोलन […]

बस आगे बढ़तें रहें

पंकज के मुवेबल टाइप के अनुवाद के दौरान हुई चर्चा में मैंने या विचार रखे थे कि log, trackback, preview, template, password, username, archives, flag, bookmarklet जैसे पारिभाषिक शब्दों को जस का तस लिखना चाहिए, हर शब्द का हिन्दीकरण उचित नहीं। पंकज का मानना है: मैं सोचता हूँ कि अनुवाद ऐसा होना चाहिए जो कि […]

कश्मीर और पाकिस्तानी अंर्तविरोध

मेहमान का चिट्ठाः नितिन मेरा यह मानना है कि जब तक पाकिस्तान अपने भारत-विरोध को छोड़ खुद अपनी राह पर नहीं चलता तब तक उप-महाद्वीप में पूर्ण शांति की आशा नहीं की जा सकती। 1947 के बाद चाहे-अनचाहे पाकिस्तान एक स्वतंत्र राष्टृ बन गया है, यह एक सत्य है। लेकिन स्वतंत्र पाकिस्तान की अपनी स्वतंत्र […]

काव्यालयः बनकर याद मिलो

कॉलेज के दिनों में हर कोई कवि बन जाता है, कम से कम कवि जैसा महसूस तो करने लगता है। जगजीत के गज़लों के बोलों के मायने समझ आने लगते हैं और कुछ मेरे जैसे लोग अपनी डायरी में मनपसंद वाकये और पंक्तियाँ नोट करने लगते हैं। कल अपने उसी खजाने पर नज़र गयी तो […]

संचार माध्यम और सामाजिक दायित्व

भारतीय टेलिविज़न परिदृश्य के सन्दर्भ में बात करें तो आप को दो स्पष्ट समूह मिलेंगे। एक ओर तो सरकारी टेलिविज़न दूरदर्शन है और दूसरी तरफ उपग्रह चैनलों का झुण्ड। दोनों की कार्यप्रणालियों में खासा अंतर है। दूरदर्शन पारंपरिक तौर से सत्तारूढ़ दल का सरकारी भोंपू बना रहा है। अगर इस बात को नज़रअंदाज़ कर सकें […]