क्या भारत के लिए कार-मुक्त भविष्य एक कल्पना है? यह लेख बेहतर सार्वजनिक परिवहन और बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा करती है।
Read Moreआवरण ~ चिट्ठों के ब्लॉगर टेम्प्लेट
काफी दिनों से ये विचार मन में मचल रहा था। वर्डप्रेस के रेड ट्रेन जैसे कुछ ब्लॉग थीम पहली ही नजर में मन को भा गये थे पर अपने ब्लॉगर के ब्लॉग पर उसे लाने की बात पर मन मसोस कर रह जाता था। अब थोड़ा खाली समय मिला तो सोचा क्यों न खुशियाँ बाँटी […]
खेलों में देशभक्ति का विकेंद्रीकरण
ज़रा इस सवाल का जल्दी से बिना ज़्यादा सोचे जवाब दें। भारत का राष्ट्रीय खेल कौन सा है? अगर आप सोच में पड़ गये या फिर आपका जवाब क्रिकेट, टेनिस जैसा कुछ था तो जनाब मेरी चिंता वाजिब है। हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है। पर पिछले कई दशकों में खेलों की हवा का रुख कुछ […]
लताजी को नहीं पता जी?
व्यक्तिपूजन हमारे यहाँ की खासियत है। मकबूलियत मिल जाने भर की देर है चमचों की कतार लग जाती है। मैंने एक दफा लिखा था राजनीति में अंगद के पाँव की तरह जमें डाईनॉसारी नेताओं की, दीगर बात है कि आडवानी ने बाद में दिसंबर तक तख्त खाली करने की “घोषणा” की। पर समाज के अन्य […]
याहू की ब्लॉग सर्च?
खबर तो लीक पहले भी हुई थी पर गूगल भैया ब्लॉग खोज का यंत्र पहले ले आये बाजार में। सुनते हैं कि अब याहू कमर कस चुका है अपने ब्लॉग खोज तंत्रांश को मैदान में उतारने के लिये। ब्लॉगिंग के तो दिन फिर गये लगते हैं!
गूगल चींटी
गूगल अब एक प्रजाति का भी नाम है। खबर है कि चींटीयों की एक नई प्रजाति का नाम “प्रोसिरेटियम गूगल” रखा गया है। चींटियाँ खोजी प्रवृत्ति की तो होती ही हैं पर यह नाम गूगल अर्थ के द्वारा दी गई मदद के एवज में है। देखा? कोई भी काम छोटा नहीँ होता!
कौड़ियों से करोड़ों?
जो यह हजरत कह रहे है कुछ कुछ वैसा ही ख्याल मेरा भी है। पर पहले बात इस पेंटिंग, जिसका नाम यकीनन कुछ भी हो सकता था, “महिशासुर” की, यह तैयब मेहता साहब की पेंटिंग है। आपने सुना ही होगा कि यह तिकड़म १ नहीं २ नहीं ३ नहीं पूरे ७ करोड़ रुपये में किसी […]
नया ब्लॉग वर्गीकरण
क्षेत्रियता और विषय के आधार पर ब्लॉगों के वर्गीकरण तो होते रहते हैं, पहली बार देखा धर्म के नाम पर वर्गीकरण। गॉडब्लॉगकॉन क्रिस्तान ब्लॉगरों का पहला सम्मेलन है जो कथित रूप से इस समुदाय के ब्लॉगरों को एकजुट करेगा। एकजुट ही करना भाया, पृथकता से डर लगता है!
नासा और गूगल
खबर है कि नासा और गूगल अब मिल कर काम करेंगे, दोनों एक विशाल शोध केंद्र बनाने जा रहे हैं। क्या हमारे लालफीताशाह मुल्क में हम इसरो से यह उम्मीद कर सकते थे कभी?