2008 में पॉडभारती के लिये मैंने कर्नाटक के एक 1981 बैच के IAS अधिकारी, जो बेबाकी से भ्रष्टाचार की खिलाफत करते थे, की पत्नी जयश्री का साक्षात्कार लिया था। जयश्री डरती थीं कि अन्य व्हिसल ब्लोअर्स की भांति उनके पति को भी मार न दिया जाय। उन्होंने वेबसाईटों के माध्यम से मोर्चाबंदी की, पर पति महोदय की परेशानियाँ कम न हुईं। आज अचानक यह ध्यान आया कि देखें उनकी अब क्या स्थिति है, गूगल ने टाइम्स की 2015 कि खबर तक पहुंचाया जिसमें लिखा था कि रिटायरमेंट के सिर्फ तीन दिन पहले विजयकुमार जी को “अनुशासनहीनता” के कारण अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शास्ती दे दी गई जिसके कारण वे केवल दो तिहाई पेंशन के ही पात्र होंगे।

यानि आखिरकार उनसे “हिसाब बराबर” कर ही लिया गया।

हम सोचते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ नेता और राजनीति है इसके उलट दरअसल जड़ हमारे नौकरशाह ही हैं। कर्नाटक में 2008 से 2013 तक भाजपा सरकार थी और उसके बाद से काँग्रेस। इस सरकारी चोलाबदली से जमीनी हकीकत पर कोई फर्क नहीं पड़ा, सरकारें बदलती हैं पर नौकरशाह तो नहीं बदलते। कोउ नृप होउ। संभवतः जयश्री जी के लिये यही बात दिलासा हो कि कम से कम उनके पति जीवित तो हैं।

अगर इस वाकये को पढ़ने के उपरांत भी आपका यह विश्वास बना रहता है कि धरती पर भगवान हैं, तो आपका भगवान ही आपको सद्बुद्धि दे।